11 सालों से बंद धुरियापार चीनी मिल के फिर से शुरू होने के आसार

60 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई किसान सहकारी चीनी मिल हरपुर गजपुर धुरियापार के एक बार फिर शुरू होने की उम्मीद बनी है। यह उम्मीद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मिल के पास एथेनाल प्लांट बनाए जाने की...

हिन्दुस्तान टीम गोरखपुरThu, 19 July 2018 11:43 AM
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60 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई किसान सहकारी चीनी मिल हरपुर गजपुर धुरियापार के एक बार फिर शुरू होने की उम्मीद बनी है। यह उम्मीद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मिल के पास एथेनाल प्लांट बनाए जाने की घोषणा में ही छुपी हुई है।

मुख्यमंत्री मिल के पास 1200 करोड़ रुपये की लागत से एथेनाल प्लांट बनाए जाने की योजना बना रहे हैं। यह उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि योगी आदित्यनाथ पूर्व में बंद पड़ी मिलों को नए सिरे से शुरू करा रहे हैं, ऐसे में धुरियापार चीनी मिल से जुड़ी उम्मीद नहीं तोड़ेंगे।

1987-88 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किसान सहकारी चीनी मिल हरपुर गजपुर धुरियापार की आधारशिला रखी थी। लेकिन सरकारों की उपेक्षा के कारण एक दशक बाद 1997-1998 में उच्च तकनीकी से बनी चीनी मिल को एशिया की नम्बर दो चीनी मिल बताया गया। 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 25 हजार कुंतल प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता वाली इस मिल की शुरूआत कराई।

लेकिन गन्ना के अभाव में मिल में पेराई 20 दिन बाद ही बंद हो गई। हालांकि जानकारों को मानना है कि इसके पीछे गन्ना की कमी नहीं बल्कि अघोषित रूप से मिल की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक विवाद था। मायावती सरकार में मंत्रीमण्डल ने मिल के निजीकरण का निर्णय लिया। मिल के शेयर होल्डर सुनील कुमार तिवारी एवं पूर्व विधायक अच्युतानंद तिवारी समेत 12 की संख्या में लोग याचिका लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहुंच गए।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि चीनी मिल में स्थानीय किसानों का भी शेयर है, इसलिए निजी हाथो में न सौंपा जाए। हाईकोर्ट ने किसानों के हित में मिल के निजीकरण एवं बिक्री पर रोक लगा दी। 2006-07 में पूर्व विधायक जय प्रकाश यादव के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने एक करोड़ का विशेष पैकेज दिया।

फरवरी 2007 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मिल के पेराई सत्र की शुरूआत की लेकिन मिल केवल 12 दिन चली। तब से यह मिल बंद पड़ी है। पूर्व की मायावती सरकार पर यह भी आरोप लगा कि कीमती पुर्जो को दूसरे मिलों को हस्तांतरित कर दिया गया। शेष पुरानी मशीनों से मिल संचालित करना संभंव नहीं था। फिलहाल मिल तभी से बंद पड़ा है।

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