Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरDeepak will be made on electric chalk for Deepotsav in Ayodhya

अयोध्या में दीपोत्सव के लिए इलेक्ट्रिक चॉक पर बनेंगे दीप

माटी कला से जुड़े गोरक्षनगरी के कलाकार अयोध्या दीपोत्सव और जिले में दीपावाली के लिए लाखों की संख्या में मिट्टी के डिजाइनर दिए तैयार करेंगे। इलेक्ट्रिक चाक के संचालन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण हासिल करने...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरThu, 27 Aug 2020 03:34 AM
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माटी कला से जुड़े गोरक्षनगरी के कलाकार अयोध्या दीपोत्सव और जिले में दीपावाली के लिए लाखों की संख्या में मिट्टी के डिजाइनर दिए तैयार करेंगे। इलेक्ट्रिक चाक के संचालन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण हासिल करने के बाद जिले के 84 कलाकारों को बुधवार को बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने इलेक्ट्रिक चॉक का वितरण किया।

उन्होंने उम्मीद जताई कि कोविड 19 के दौर में यह इलेक्ट्रिक लॉक उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद प्रदान करेगा। इसके पूर्व मंगलवार का उन्होंने जिले के 10 कलाकारों को लक्ष्मी गणेश की प्रतिमाएं बनाने के लिए पीओपी के सांचे प्रदान किए थे। मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र खजनी में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने इलेक्ट्रिक चॉक संचालक का तीन दिवसीय प्रशिक्षण पूरा करने वाले गोरखपुर जिले के 23 और महराजगंज जिले के 29 कलाकारों को प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया।

अयोध्या के दीपोत्सव को ध्यान में रख बनाएं दीए

माटी कला के कलाकारों का बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने आह्वान किया कि दीपावली पर अयोध्या में दीपोत्सव के साथ जिले में दीपोत्सव के लिए मिट्टी के दिए बनाए। मिट्टी के दिए न केवल पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उचित हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी उचित हैं। उन्होंने कहा कि मुफ्त मिले इन चॉक की कीमत समझे और इनका इस्तेमाल कर अपने हुनर का प्रदर्शन करें। उन्होंने बताया कि इन चॉक पर सिर्फ छोटे बर्तन ही नहीं बल्कि बड़ी प्रतिमाएं-मूर्तियां भी बनाई जा सकती हैं।

माटी कलाकारों की होगी गणना

धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि माटी कला से जुड़े परिवारों की गणना कराई जा रही है। उन्हें मिट्टी के पट्टे आवंटित किए जाएंगे। जिनके पट्टे पर अवैध रूप से कब्जा है मुक्त करा अवैध कब्जेदारों पर कार्रवाई होगी। आह्वान किया कि पीने के लिए गिलास और चाय के लिए कुल्हड़ मिट्टी के बनाएं। सरकारी अधिकारियों को हिदायत दी कि उनके द्वारा बनाए गए मिट्टी के गिलास और कुल्हड़ का इस्तेमाल सरकारी बैठकों एवं दफ्तरों में करें।

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