Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़गोरखपुरDeath of father and two sons by killing raw wall, dies in debris

दीवार गिरने से पति और दो पुत्रों को खोने वाली महिला को आर्थिक सहायता

पिपराइच के भलुही में गुरुवार को एसडीएम राहुल पाण्डेय ने मृतक रमेश की पत्नी को आपदा मोचन राहत कोष 12 लाख भुगतान का प्रमाण दिया। यह आर्थिक मदद मृतक की पत्नी के खाते में भेजी जाएगी।  बुधवार को...

मुख्य संवाददाता भटहट गोरखपुरThu, 27 July 2017 09:22 PM
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पिपराइच के भलुही में गुरुवार को एसडीएम राहुल पाण्डेय ने मृतक रमेश की पत्नी को आपदा मोचन राहत कोष 12 लाख भुगतान का प्रमाण दिया। यह आर्थिक मदद मृतक की पत्नी के खाते में भेजी जाएगी। 
बुधवार को रमेश व उसके दो बेटे-अमन व छोटू की दीवार गिरने से मौके पर ही मौत हो गई थी। इस अवसर पर क्षेत्रीय  विधायक महेन्द्र पाल सिंह, राजस्व निरीक्षक घनश्याम शुक्ल, भाजपा नेता धर्मेन्द्र मिश्रा व प्रधान बलवन्त सिंह सहित कई ग्रामीण उपस्थित रहे। 
भलुही गांव की दलित बस्ती में बुधवार को दोपहर बाद कच्चे मकान की दीवार ढहने से उसके मलबे में दबकर पिता और दो पुत्रों की मौत हो गई। इस घटना से पूरे गांव में कोहराम मच गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो आक्रोशित ग्रामीणों ने लाशें देने से इनकार कर दिया। हालांकि प्रशासन द्वारा मदद दिलाने का आश्वासन दिए जाने के बाद वे मान गए।‌

एक ही चिता पर जली पिता और दो बेटों का शव
गुलरिहा के बरगदही स्थित बैकुंठ धाम पर गुरुवार को एक ही चिता पर पिता और दो बेटों की लाश जलाई गई। चिता को मुखाग्नि देते समय नात रिश्तेदारों के साथ इलाके के लोगों का दिल दहल उठा। पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर परिवारीजन बरगदही बैकुंठ धाम पर पहुंचे। जहां एक ही चिता पर पिता और दोनों बेटों की लाश जलाई गई। रमेश के पिता फूलचन्द ने पुत्र रमेश  तथा पोते अमन और अंकुर उर्फ छोटू को मुखाग्नि दी। यह मंजर देख वहां मौजूद सभी के आंखो मे आंसू भर आए। 

सोमवार को ही घर आया था रमेश 
रमेश घर में सबसे बडा था। दूसरे नम्बर का मंगल और सबसे छोटा राम अवतार है। रमेश अहमदाबाद में मजदूरी करता था। सोमवार की रात में वह घर आया था। तीन बच्चों में बड़ा बेटा अमन कक्षा चार, छोटा बेटा छोटू कक्षा तीन का छात्र था। इनकी मौत पिता के साथ हो गई थी।  उनकी बहन खुशबू बकरी चराने नहर पर चली गई जिससे वह बच गई। 


कच्चे मकान पर डाल रखा था छप्पर
भलुही गांव की दलित बस्ती में 35 वर्षीय रमेश का कच्चा मकान था। कच्चे ईंट से दीवार खड़ी कर उसने छप्पर डाल रखा था। वह 30 वर्षीया पत्नी संगीता 12 वर्षीय पुत्र अमन व 10 वर्षीय छोटू तथा 3 वर्षीया पुत्री खुशी के साथ उसी में गुजर-बसर कर रहा था। 
लगातार बारिश से भीगी दीवार बनी काल
वह मेहनत मजूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था। लगातार हो रही बारिश की वजह से दीवार भीग गई थी। बुधवार को दोपहर बाद 3 बजे रमेश के मकान से सटे एक व्यक्ति नल गड़वा रहा था। रमेश और उसके दोनों बेटे अमन तथा छोटू अपनी दीवार से सटे बैठ कर नल गड़ते देख रहे थे। अचानक कच्ची दीवार भरभराकर ढह गई। रमेश और उसके दोनों बेटे मलबे में दब गए। नल लगा रहे मिस्त्री और कर्मचारियों ने शोर मचाया। उनका शोर सुनकर गांव के लोग दौड़कर पहुंचे। मलबा हटाकर रमेश और उसके दोनों बेटों को बाहर निकाला। हालांकि तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। 
पत्नी पर टूट पड़ा दुख का पहाड़
पति और दोनों बेटों की मौत की खबर सुनकर संगीता बेहोश हो गई। दलित परिवार पर टूटे विपत्ति के पहाड़ को देखकर पूरा गांव रो पड़ा। 

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