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गुजरात की सूर्य शक्ति कृषि योजना का डाटा एनालिसिस एमएमएमयूटी में

गुजरात में चल रही सूर्य शक्ति कृषि योजना के डाटा एनालिसिस एमएमएमयूटी में शुरू हुआ है। कुलपति प्रो. एसएन सिंह को यह जिम्मेदारी आईआईटी गांधीनगर के साथ संयुक्त रूप से मिली है। योजना से किसानों को हुई आय...

हिन्दुस्तान टीम गोरखपुरTue, 6 Nov 2018 06:40 PM
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गुजरात में चल रही सूर्य शक्ति कृषि योजना के डाटा एनालिसिस एमएमएमयूटी में शुरू हुआ है। कुलपति प्रो. एसएन सिंह को यह जिम्मेदारी आईआईटी गांधीनगर के साथ संयुक्त रूप से मिली है। योजना से किसानों को हुई आय व आम लोगों को हुए फायदे का अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट प्रो. एसएन सिंह केन्द्र को भेजेंगे। योजना का अन्य राज्यों में भविष्य इसी रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।

गुजरात सरकार ने सूर्य शक्ति कृषि योजना शुरू की है। इसमें गुजरात के किसानों को अपने खेतों में सोलर प्लांट लगाने हैं। सोलर सिस्टम वे पैदा हुई बिजली का उपयोग कर किसान अपनी सिंचाई व अन्य जरूरतों को पूरा करेंगे। बची बिजली राज्य सरकार खरीदेगी। सात वर्षों तक सरकार किसानों से 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदेगी।

इसके बाद बाद 18 साल तक इसकी कीमत साढ़े तीन रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से किसानों को दी जाएगी। सोलन प्लांट लगाने का जितना खर्च आएगा, किसान को उसका केवल पांच फीसदी ही खर्च करना है। शेष रकम में 60 फीसदी सरकार लगाएगी, बाकी बची 35 फीसदी रकम किसानों को लोन के रूप में मिलेगा। यह कर्ज नाबार्ड की ओर से मिलेगा।

आईआईटी गांधीनगर से आउटस्टैंडिंग इंजीनियर उपाधि प्राप्त कर चुके डॉ. नरण एम पिंडोरिया के साथ एमएमएमयूटी को इसके डाटा विश्लेषण की जिम्मेदारी मिली है। यह टीम इस योजना से किसानों को हो रहे फायदे व आम लोगों को मिली बिजली से सरकार की बचत का आंकलन करेगी। रिपोर्ट तैयार कर केन्द्र को भेजेगी ताकि भविष्य में इस योजना को अन्य राज्यों तक विस्तार दिया जा सके। एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने बताया कि डाटा एनालिसिस का काम शुरू हो गया है।

यह कई दिनों तक चलने वाली प्रक्रिया है। आईआईटी गांधीनगर के डॉ. पिडोरिया अपनी टीम से डाटा कलेक्शन करा रहे हैं। जैसे जैसे डाटा उन्हें मुहैया होती जाएगी, विश्लेषण व अध्ययन का काम आगे बढ़ता जाएगा। डाटा एनालिसिस से पता चलेगा कि इससे किसानों व आम जनता को कितना फायदा हो रहा है। भविष्य में अन्य राज्यों तक योजना पहुंचाने का यह आधार होगा। कुलपति ने बताया कि वह यूके व जर्मनी के प्राजेक्टों से भी डॉ. पिंडोरिया के साथ जुड़े हैं।

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