कौतूहल पैदा करते हैं प्राचीन ग्रंथों के वैज्ञानिक तथ्य
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो. बी रामानाथन ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों के वैज्ञानिक तथ्य हमारे मन में कौतूहल पैदा करते हैं। दरअसल पर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक...
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो. बी रामानाथन ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों के वैज्ञानिक तथ्य हमारे मन में कौतूहल पैदा करते हैं। दरअसल पर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां विस्मयकारी हैं।
प्रो.बी.रामानाथन मंगलवार को महंत दिग्विजयनाथ की 50वीं और महंत अवेद्यनाथ की पांचवीं पुण्यतिथि की स्मृति में महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में चल रही सात दिवसीय व्याख्यानमाला के पांचवें दिन 'प्राचीन भारत में वैज्ञानिक उपलब्धियांÓ विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि प्राचीन ग्रंथों की गूढ़ता के साथ व्याख्या की जाए तो आधुनिक विज्ञान के सभी अविष्कार उसमें दिखाई देंगे। वेद, पुराण, उपनिषद , रामायण, महाभारत सहित सभी मूल्यवान ग्रंथ वैज्ञानिक उपलब्धियों से भरे पड़े हैं। रडार प्रणाली, गौमूत्र को सोने में बदलने की तकनीक, मिसाइल तकनीक, सापेक्षता का सिद्धान्त, क्वांटम सिद्धान्त, दूरस्थ स्थानों पर देखने की तकनीक आदि की इन ग्रंथों में भरमार है। इससे साबित होता है कि हमारे पूर्वजों की दृष्टि वैज्ञानिक थी। इससे आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन होता रहेगा। प्रो. रामानाथन ने अपने व्याख्यान में भारत की ओर से विश्व को शून्य और दशमलव प्रणाली के योगदान की भी विस्तार से चर्चा की। महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. कृष्ण कुमार ने ‘वैश्विक स्तर पर उभरता भारत विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत विश्व कल्याण और विश्व शांति का सेतु है। भारत के उदय में ही विश्व का उदय और सम्पूर्ण मानवीय मूल्यों का उदय सन्निहित है। संचालन प्रियंका मिश्रा और आभार ज्ञापन डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने किया। इस दौरान प्रो. महेश शरण, डॉ. वेद प्रकाश पांडेय, मनीष कुमार, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. सुभाष गुप्ता, सुबोध कुमार मिश्र, वीरेंद्र तिवारी, अभिषेक वर्मा, पुष्पा निषाद, यशवंत राव, शैलेंद्र कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।
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