सीएम ने शहर को दिया बिजली घर का तोहफा
सीएम ने महानगर की 12 लाख आबादी को अगले 10 साल तक निर्बाध बिजली आपूर्ति का तोहफा इस दिवाली पर सीएम ने दिया है। दौरे पर आए सीएम ने शहर में 220 केवी जीआईएस बिजली घर व दो वितरण बिजली घर बनाने की योजना...
सीएम ने महानगर की 12 लाख आबादी को अगले 10 साल तक निर्बाध बिजली आपूर्ति का तोहफा इस दिवाली पर सीएम ने दिया है। दौरे पर आए सीएम ने शहर में 220 केवी जीआईएस बिजली घर व दो वितरण बिजली घर बनाने की योजना को गुरुवार को हरी झण्डी दी। इसके साथ ही जीडीए ने खोराबार क्षेत्र में 110 गुणा 75 मीटर भूमि भी ट्रांसमिशन को आवंटित कर दी। नए तकनीक वाले ट्रांसमिशन बिजली घर के लिए 117.30 करोड़ रुपये भी अवमुक्त हो गए। अधिकारियों का कहना है कि इस बिजली घर के बनने से शहर को दो स्रोतों से बिजली मिलने लगेगी।
पश्चिमी क्षेत्र के बरहुआ 220 ट्रांसमिशन उपकेन्द्र से शहर के अधिकांश 33 केवी बिजली घरों को बिजली आपूर्ति मिलती है। अब पूर्वी क्षेत्र खोराबार में आधुनिक तकनीक गैस इंसुलेटेड सिस्टम का बिजली घर बनने से निर्बाध बिजली आपूर्ति का रास्ता साफ होगा। इसके साथ ही शहर के विस्तार को गति मिलेगी। शहर का विस्तार होने के साथ ही नई-नई परियोजनाओं के आने से बिजली की मांग व विद्युत लोड लगातर बढ़ रहे हैं। फर्टिलाइजर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, चिड़ियाघर, होटल, माल, रेस्टोरेंट के साथ ही मेट्रो को भी स्वीकृति मिल गई है। आने वाले कुछ वर्षों में बिजली की मांग व लोड में दोगुने की वृद्वि होगी। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने नए बिजली घरों को बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। अब खोराबार में 220 केवी जीआईएस पारेषण बिजली घर के लिए जीडीए ने जमीन मुहैया करा दी है। बहुत जल्द टेण्डर की प्रक्रिया शुरू होगी।
बिछिया व दिव्यनगर में खत्म होगी बिजली की आवाजाही
बिछिया व दिव्यनगर इलाके का तेजी से विस्तार हो रहा है। बिछिया को अभी मोहद्दीपुर व दिव्यनगर को खोराबार उपकेंद्र से आपूर्ति दी जाती है। ज्यादा दूरी से आपूर्ति के कारण दोनों इलाकों में लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। कोई गड़बड़ी होने पर सुधार के लिए कर्मचारी भी काफी देर बाद पहुंचते हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जिला प्रशासन के अफसरों ने दोनों उपकेंद्रों के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है।
मोतीरामअड्डा का लोड कम होगा
शहर को बरहुआ व मोतीराम अड्डा पारेषण उपकेंद्रों से आपूर्ति दी जाती है। खोराबार में पारेषण उपकेंद्र बनने के बाद 400 केवी पारेषण उपकेंद्र मोतीराम अड्डा का लोड कम हो जाएगा। इसके साथ ही कुशीनगर व देवरिया व महराजगंज जिलों के उपभोक्ताओं को भी फाल्टमुक्त बिजली मिलने लगेगी।
क्या है जीआईएस तकनीक
सामान्य बिजलीघर में लगने वाले सभी उपकरण स्विच गियर आदि खुले में लगाए जाते हैं। खुले में लगने वाले उपकरणों में जल्दी खराबी आती है। लेकिन आधुनिक तकनीक गैस इंसुलेटेड सिस्टम पर आधारित इस बिजलीघर में कोई भी उपकरण खुले में नहीं रखा जाएगा। इससे बिजलीघर का रख रखाब भी ठीक रहेगा। जल्द कोई खराबी इसमें नहीं आएगी। यह एक प्रकार से काम्पैक्ट बिजली घर होता है। जो कम जगह में भी बन जाता है। महज 110 गुणा 75 मीटर जमीन की आवश्यकता होती है।
पूर्वांचल का पहला जीआईएस बिजली घर बनेगा
देश में जींआईएस तकनीक आधारित बिजलीघर कई साल से बन रहे हैं। पूर्वांचल में इस तकनीक से बिजलीघरों का निर्माण होना अभी शुरु हुआ है। इस तरह गोरखपुर जीआईएस बिजली घर वाला पूर्वांचल का पहला शहर बनेगा।
बोले मुख्य अभियंता
220 केवी जीआईएस ट्रांसमिशन बिजलीघर बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के साथ ही बजट भी आवंटित हो गया है। खोराबार में जमीन भी उपलब्ध हो गई है। बिछिया व दिव्यनगर में बिजली घर बनाने के लिए जमीन की तलाश शुरू हो गई है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयारी की जा रही है।
- देवेंद्र सिंह, मुख्य अभियंता
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