17 गांवों में नेपाली नेटवर्क का कब्जा, भेजा गया ब्योरा
- नेपाल में मोबाइल टॉवर अपग्रेड होने के बाद मुख्यालय से मांगी गई थी रिपोर्ट इसको लेकर बार्डर इलाके पर भारतीय सीमा में पुलिस और एजेंसियां अलर्ट हैं। फ
गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। नेपाल में चीनी दूरसंचार कंपनी हुवावे द्वारा वाई-फाई नेट सेंटर लगाने के बाद सीमावर्ती गांवों में भारतीय कंपनियों के सिग्नल कमजोड़ पड़ गए हैं। सीमा के करीब बसे यूपी के 17 गांवों में तो नेपाली नेटवर्क का कब्जा हो गया है। गोरखपुर जोन में आने वाले इन गांवों में भारतीय नेटवर्क अब बिल्कुल काम नहीं करता है। पुलिस भी अब यहां सर्विलांस तक कर पाने की स्थिति में नहीं है। इसकी गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। चीनी कंपनी द्वारा जासूसी की आशंकाओं के बीच अब इसकी काट तैयार करने के लिए अध्ययन किया जा रहा है।
दरअसल, नेपाल में थ्री-जी नेटवर्क को उच्चीकृत कर 4जी बनाने का काम चीनी कंपनी हुवावे कर रही है। इसके लिए हुवावे सीमावर्ती क्षेत्रों में हाई फ्रिक्वेंसी के वाई-फाई नेट सेंटर लगा रही है। हुवावे पर चीन सरकार के लिए जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। आशंका जताई जाती रही है कि कंपनी अपने संयंत्रों में जासूसी से जुड़े उपकरण लगाती है। ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्र में हुवावे ने काम शुरू किया तो भारतीय एजेंसियां अलर्ट हो गईं। वहीं यूपी सरकार के गृह विभाग ने भी सीमावर्ती इलाके में अन्य गतिविधियों के साथ ही हुवावे कम्पनी के नेटवर्क के प्रभाव को लेकर काम शुरू कर दिया है। बार्डर इलाके के सभी जिलों से इस पर एक रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, गोरखपुर जोन में श्रावस्ती के ताराताल, कोटिया घाट, ईश्वरीगंज, धनौरा, दुर्गागंज, शंकरपुर, अग्घरवा, भदई गांव, पचपकरा, पिपरहवा, जमुनहा, बलरामपुर जनपद के भगवतीगंज, सिद्धार्थनगर के धनौड़ा, कलवट समेत 17 गांवों में अब सिर्फ नेपाली नेटवर्क ही काम कर रहा है।
नेपाल बार्डर से लगते है यूपी के सात जिले
यूपी के सात जिले नेपाल सीमा से लगते हैं। इनमें पांच जिले गोरखपुर जोन के हैं जबकि लखीमपुर खीरी लखनऊ और पीलीभीत बरेली जोन में आता है। इन जिलों की खुली सीमा से नेपाल से लोग आसानी से आ सकते हैं, ऐसे में रास्तों पर चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। महराजगंज में सबसे ज्यादा 84 किमी का बार्डर लगता है। इसके अलावा सिद्धार्थनगर, बहराइच तथा बलरामपुर और श्रवास्ती जिले में नेपाल की खुली सीमा पर चेकिंग की जाती है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में वाई-फाई नेट सेंटर लगा रही हुवावे
नेपाल-भारत की खुली सीमा होने से दोनों तरफ के लोगों का एक-दूसरे के क्षेत्र में आना-जाना लगा रहता है। यही वजह है कि बार्डर के इलाके के लोग दोनों देशों की कंपनियों का सिमकार्ड इस्तेमाल करते हैं। भारतीय क्षेत्र में नेटवर्क 5जी में अपग्रेड हो गए हैं। इनकी फ्रिक्वेंसी नेपाल सीमा में 2 किमी तक काम करती है। लेकिन नेपाल में जहां चीनी कंपनी हुवावे ने वाई-फाई नेट सेंटर लगा दिया है, वहां भारतीय सीमा में भी 500 मीटर तक सिर्फ उसी कंपनी का नेटवर्क काम कर रहा है।
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