मुन्ना बजरंगी हत्याकांड: देवरिया जेल में ही पड़ गया था बजरंगी-राठी जंग का बीज
मुन्ना बजरंगी की हत्या का बीज देवरिया जेल में पड़ा। करीब सात महीने तक देवरिया में रहे सुनील राठी के भाई अरविंद की मुन्ना बजरंगी गैंग से यहीं पर अदावत हुई थी। उस समय तनाव इतना बढ़ गया था कि जेल प्रशासन...
मुन्ना बजरंगी की हत्या का बीज देवरिया जेल में पड़ा। करीब सात महीने तक देवरिया में रहे सुनील राठी के भाई अरविंद की मुन्ना बजरंगी गैंग से यहीं पर अदावत हुई थी। उस समय तनाव इतना बढ़ गया था कि जेल प्रशासन को गैंगवार की आशंका सताने लगी थी। शह- मात के इस खेल में तब राठी गैंग को मात खानी पड़ी थी। यही वजह थी कि सजा माफी की सुनवाई के बहाने बागपत गया अरविंद राठी वापस देवरिया जिला कारागार नहीं लौटा।
बुलंदशहर से 2 दिसंबर 2016 को अरविंद राठी जिला कारागार देवरिया आया था। बैरक नंबर 10 में रह रहे राठी का पहले दिन से ही दबदबा कायम हो गया। जेल में आए दिन एक खास राजनीतिक दल से जुडे़ बडे़ दिग्गज भी अक्सर उससे मिलने पहुंचते थे। उसका मनपसंद भोजन भी उसके बैरक में ही बनता था। उसी दौरान बैरक नंबर 11 में रहने वाले मुन्ना बजरंगी गैंग के शूटर सुनील यादव से उसकी बिगड़ गई। सुनील के पक्ष में रामआसरे गैंग के विजय यादव के अलावा कुख्यात हरिवंश यादव समेत कई बदमाश लामबंद हो गए।
जेल से जुडे़ सूत्रों की बातें पर भरोसा करें तो अरविंद राठी के पक्ष में भी आजमगढ़ के कुछ बदमाश थे, लेकिन जेल में पहले से रह रहा सुनील यादव और उसका गैंग भारी पड़ा। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि अरविंद राठी को मुन्ना बजरंगी के गैंग ने जेल में काफी जलील भी किया। तब स्थिति तनाव पूर्ण देख जेल प्रशासन ने शासन को गैंगवार की आशंका जताते हुए रिपोर्ट भी भेजी थी। इसी बीच 18 जुलाई 2017 को अरविंद राठी सजा माफी की सुनवाई के लिए बागपत चला गया। जिसके बाद जेल प्रशासन ने राहत की सांस ली।
अतीक ने की थी शूटरों के बीच पंचायत
अरविंद राठी और सुनील यादव गैंग के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए फूलपुर के पूर्व सांसद व बाहुबली अतीक अहमद के पंचायत करने की बात सामने आई है। इलाहाबाद की नैनी जेल से 3 अप्रैल 2017 को अतीक अहमद जिला कारागार देवरिया पहुंचे। उस समय दोनों गैंग के बीच तनाव चरम पर था। अतीक ने शूटरों की पंचायत बैठाकर मामले को रफा-दफा कराने का प्रयास किया। जेल से जुडे़ सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा लेकिन अंदर ही अंदर दोनों गैंग सुलगते रहे।
तीन दिन के लिए बागपत जेल गया और आज तक नहीं लौटा
सजा माफी पर सुनवाई के लिए अरविंद राठी को तीन दिन के लिए बागपत भेजा गया था, लेकिन जाने के बाद वह वापस नहीं लौटा। यही नहीं उसे वापस भेजने की पहल न तो बागपत जेल प्रशासन ने की और न ही देवरिया जेल के जिम्मेदारों को ही उसकी याद आई।
मिली जानकारी के अनुसार करीब 15 साल पहले अरविन्द राठी को हत्या के मामले में मेरठ की एक कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पिछले 14 सालों में मेरठ जेल के बाद उसे पहले आगरा शिफ्ट किया गया उसके बाद इलाहबाद की नैनी जेल, फिर बुलंदशहर, और वहां से देवरिया। बताया जाता है कि अपनी सजा के 14 साल पूरे होने के बाद उसने शासनादेश के आधार पर आम माफी के लिए आवेदन किया था।
डीएम-एसपी समेत कई अधिकारियों की समिति आवेदन पर विमर्श के बाद शासन को अपनी सहमति रिपोर्ट भेजती है, जिसके बाद आवेदक को रिहा कर दिया जाता है। जेल सूत्रों के अनुसार समिति की बैठक में बंदी को पेश भी किया जाता है और इसी बैठक में पेशी के लिए 18 जुलाई 2017 को अरविंद राठी को बागपत भेजा गया था। तभी से वह बागपत जेल में ही रह रहा है।
नियमत: जेल से दूसरी जगह भेजे जाने वाले कैदियों की पूरी रिपोर्ट हर महीने शासन को जाती है, लेकिन देवरिया जेल से ऐसी कोई रिपोर्ट हाल के महीनों में शासन को नहीं भेजी गई है जिसमें अरविंद राठी के बागपत में होने का जिक्र हो। जेल अधीक्षक दिलीप पाण्डेय का कहना है कि अरविंद राठी के बागपत से नहीं लौटने पर तत्कालीन जेल अधीक्षक रंगबहादुर पटेल ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी। उसे वापस भेजने की जिम्मेदारी बागपत जेल प्रशासन की थी लेकिन उसने नहीं भेजा।
कैदियों को कई बार जिले से बाहर भेजना पड़ता है। अरविंद राठी भी सजा माफी की सुनवाई के लिए बागपत गया था। वहां से गारद के साथ उसे वापस भेजने की जिम्मेदारी बागपत जेल प्रशासन की थी। वह क्यो नहीं लौटा और इस संबंध में देवरिया जेल प्रशासन ने क्या रिपोर्ट भेजी उससे संबंधित पत्रावली तलब कर जांच की जाएगी।
सुजीत कुमार, डीएम देवरिया
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