असुरन पोखरा : कमिश्नर ने जीडीए-नगर-निगम से मांगा जवाब
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता असुरन पोखरा के मामले में गोरखपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम...
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता
असुरन पोखरा के मामले में गोरखपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम के कुछ लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सकती है। इस मामले में कमिश्नर जयंत नार्लीकर ने जीडीए वीसी और नगर आयुक्त को पत्र लिखकर जिम्मेदार लोगों से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। कमिश्नर ने पत्र के जरिए पूछा है कि पोखरे की जमीन पर मानचित्र कैसे पास हुआ, साथ ही निगम ने आखिर क्या देखकर वहां नालियां और सड़कें बनवाईं।
असुरन पोखरा के दायरे में करीब 155 मकान बन चुके हैं। जलाशय की भूमि पर निर्माण का मामला 2010 में सामने आया था। तत्कालीन कमिश्नर ने जमीन बेचने वाले परिवार को सर्किल रेट के बराबर जमीन देने को कहा था। एक महीने के भीतर जमीन न देने पर निर्माण ध्वस्त करने की बात थी। उस समय तक कुछ लोगों ने मानचित्र पास होने व नगर निगम द्वारा विकास कार्य कराए जाने का हवाला दिया था। कमिश्नर ने जीडीए एवं नगर निगम के अधिकारियों से जिम्मेदारी तय करने को कहा गया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल ने ताल-पोखरों की जमीन से कब्जा हटाने के अभियान के क्रम में जब यहां के लोगों को नोटिस दिया तो लोगों ने 2010 में हुए समझौते का हवाला दिया। उन्होंने अब तक कार्यवाही न होने को लेकर मंडलायुक्त को पत्र लिखा था। इसी पत्र के परिप्रेक्ष्य में कमिश्नर ने दोनों विभागों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम ने बताया कि मंडलायुक्त ने रिपोर्ट मांगी है।
जमीन बेचने वाले परिवार को भी चेतावनी
कमिश्नर की ओर से पत्र लिखने के बाद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने जमीन बेचने वाले परिवार को नोटिस देकर कहा है कि जल्द जमीन उपलब्ध कराएं नहीं तो विधिक कार्रवाई की जाएगी। कुछ और भूखंडों का प्रस्ताव दिया गया है। तीन भूखंडों का प्रस्ताव तहसील की ओर से खारिज किया जा चुका है। दौलतपुर और बरगदवा के भूखंडों की पड़ताल चल रही है।
कमिश्नर ने जीडीए व नगर निगम को पत्र लिखकर असुरन पोखरे की जमीन पर निर्माण एवं विकास कार्य की अनुमति देने वालों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही एक सप्ताह में जवाब मांगा है। जमीन बेचने वाले परिवार को भी सख्त नोटिस दिया गया है।
- गौरव सिंह सोगरवाल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर
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