और जीएम संग कर्मचारियों ने हाथ से धक्का देकर हटा दिया था डिब्बा
पूवार्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर स्टेशन के नाम एक से बढ़ कर एक उपलब्धियां हासिल हैं। यहां के कर्मचारियों और अधिकारियों ने एक से बढ़कर एक नजीर पेश की है। यह दोनों काम सिर्फ और सिर्फ गोरखपुर के नाम ही दर्ज...
पूवार्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर स्टेशन के नाम एक से बढ़ कर एक उपलब्धियां हासिल हैं। यहां के कर्मचारियों और अधिकारियों ने एक से बढ़कर एक नजीर पेश की है। यह दोनों काम सिर्फ और सिर्फ गोरखपुर के नाम ही दर्ज है। जी हां, एक ओर जहां गोरखपुर को विश्व को सबसे लम्बे प्लेटफार्म का दर्जा है वहीं दूसरी ओर एक दुर्घटनाग्रस्त मालगाड़ी के डिब्बे को हाथ से धक्का पटरी से हटाने कौशल हासिल है।
सफरनामा-पूर्वोत्तर रेलवे
133 साल के सफर में विश्व के सबसे लम्बे प्लेटफार्म का तमगा
वर्ष 1885 में स्थापित रेलवे जंक्शन पर 2 से 10 हो गए प्लेटफार्म
देश के अधिकतर बड़े शहरों में आने-जाने के लिए मिलती है ट्रेन
यात्रियों की संख्या में लगातार हो रही है वृद्ध, सुविधाएं भी बढ़ी हैं
1996 से 2000 तक महाप्रबंधक रहे सोमनाथ पाण्डेय की प्रेरणा से कर्मचारियों ने दुर्घटनाग्रस्ट मालगाड़ी के एक डिब्बे को बिना एआरटी के हाथ से धक्का देकर दूसरी ओर गिरा दिया था। जी हां, 1998 में कैंट के पास मालगाड़ी का एक डिब्बा दुर्घटना ग्रस्त हो गया। उसकी वजह से ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। चूंकि उस समय एक ही लाइन थी ऐसे में जो ट्रेन जहां थी वहीं रुकी हुई थी। इस दौरान सूचना पाकर रेलवे के करीब 150 कर्मचारी और अधिकारी पहुंच गए। सभी एआरटी का इंतजार कर रहे थे।
और सोमनाथ पाण्डेय हाथ से धक्का लगाने लगे
इसी दौरान सूचना पाकर तत्कालीन महाप्रबंधक सोमनाथ पाण्डेय भी पहुंच गए। इस दौरान जीएम ने सभी कर्मचारियों में जोश भरा और कहा एआरटी का इंतजार क्यो, सभी मिलकर हाथ लगा दो डिब्बा उस पार गिर जाएगा। इतना कहते ही जीएम ने सबसे पहले हाथ लगाया और देखते ही देखते सभी कर्मचारियों ने धक्का देना शुरू कर दिया। करीब 15 मिनट के मशक्कत के बाद आखिरकार सभी ने डिब्बे को ट्रैक के दूसरी ओर गिरा दिया। इसके साथ ही ट्रैक खाली हो गया और ट्रेनों का आवागमन शुरू हो गया।
10 प्लेटफार्म, 164 ट्रेनें
इसके साथ ही 1885 से लेकर 2018 तक के 133 साल के सफर में गोरखपुर जंक्शन ने कई मुकाम हासिल किए। प्लेटफार्मों की संख्या दो से बढ़कर जहां 10 हो गई वहीं गोरखपुर को विश्व के सबसे लम्बे प्लेटफार्म का भी तमगा मिल गया। शुरूआती दौर में जहां महज छह से सात ट्रेनें चलती थीं वहीं अब 164 ट्रेनें चल रही हैं। यात्रियों की संख्या में भी 500 गुना का इजाफा हुआ है।
हमसफर सबसे पहले मिली
इसके साथ ही गोरखपुर जंक्शन के नाम कई और उपलब्धियां जुड़ती चली गईं। पूरे देश में सबसे लम्बे कैब-वे का भी दर्जा भी मिला और नई ट्रेनों की सेवा में गोरखपुर सबसे आगे रहा। यात्रियों की सुविधा के लिए देश में शुरू की गई सुविधा स्पेशल सबसे पहले गोरखपुर से आनन्द विहार तक चली। साथ ही 2016 के बजट में घोषित हमसफर एक्सप्रेस भी सबसे पहले गोरखपुर से आनन्द विहार के बीच चली।
निरंतर सुविधाओं में बढ़ोत्तरी
1885 से सफर की जो शुरूआत हुई वह आगे की ओर चलता रहा। रेल में काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारी भी पूरी तरह से रेलव के लिए समर्पित रहे और ट्रेनों में सुरक्षित सफर के लिए दिन-रात एक करते रहे। सिलसिला चलता रहा और गाड़ियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती रही। 19 वीं शताब्दी में ग्वालियर-बरौनी के बीच एक्सप्रेस ट्रेन चली तो यात्रियों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होती रही।
1885 में अवध और नार्थ वेस्ट रेलवे का हिस्सा था गोरखपुर स्टेशन
1885 में गोरखपुर रेलवे स्टेशन अवध और नार्थ वेस्ट रेलवे का हिस्सा था। उस समय के सबसे पहले एजेंट (अब के महाप्रबंधक) डब्ल्यू सी फर्नीवाल थे।
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