किसने काटे पेड़: एसडीएम की रिपोर्ट में वन विभाग, पुलिस और पीडब्ल्यूडी पर आरोप
गोरखपुर के उरूवा-खजनी मार्ग पर ग्राम मरवा-बंजरिया के बीच सड़क पर सरकारी पेड़ काटने के मामले में एसडीएम द्वारा की गई जांच में वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया...
गोरखपुर के उरूवा-खजनी मार्ग पर ग्राम मरवा-बंजरिया के बीच सड़क पर सरकारी पेड़ काटने के मामले में एसडीएम द्वारा की गई जांच में वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक पौधरोपण अभियान के अंतर्गत लगाए गए इन पेड़ों की रक्षा करने में न केवल वन विभाग बल्कि स्थानीय उरूवा थाना भी असफल रहा। और तो और अपनी खामी छुपाने के लिए वन विभाग ने सिर्फ 131 पेड़ काटा जाना रिपोर्ट किया जबकि प्रशासनिक जांच में 414 पेड़ काट दिए जाने का दावा किया गया है। गुरुवार की शाम रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई। उम्मीद है कि शुक्रवार तक यह रिपोर्ट मण्डलायुक्त की टेबल पर होगी।
उपजिलाधिकारी गोला राजेन्द्र बहादुर ने हिन्दुस्तान को बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट डीएम को भेज दी है। उस पर अंतिम निर्णय प्रशासन को लेना है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक 9 फरवरी से पेड़ काटने का काम शुरू हुआ था। लेकिन वन विभाग को इसकी जानकारी 12 फरवरी को हुई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटे जाने की जानकारी मिलने के बाद ही ग्रामीणों ने पेड़ काटा। लकड़ी उठा भी ले गए। इस दौरान खजनी में 334 और गोला में 80 पेड़ काटे गए थे। सरकारी सम्पत्ति का दायित्व पुलिस का भी था लेकिन स्थानीय पुलिस कर्मियों ने भी इसका ध्यान नहीं रखा और मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को नहीं दी। वन विभाग भी पेड़ों के संरक्षण के दायित्व को निभाने में नाकामयाब रहा। उल्टे मामले के सामने आने के बाद जिन्हें जांच की जिम्मेदारी मिली उन्होंने भी अपने दायित्व का निवर्हन ठीक ढंग से नहीं किया।
वन विभाग की जांच में लोक निर्माण विभाग जिम्मेदार
उप प्रभागीय वन अधिकारी आनंदनगर एसएन मौर्या ने डीएफओ के निर्देश पर अपनी जांच रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहराया था। उरूवा-खजनी मार्ग पर ग्राम मरवा-बंजरिया के बीच सड़क पर 131 पेड़ों के कटने की बात स्वीकार की थी। इस मामले में वन विभाग के कर्मचारियों को क्लीनचिट देते किसी मिली-भगत से इनकार किया था। 13 फरवरी को मण्डलायुक्त जयंत नार्लिकर को भेजी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि लोक निर्माण विभाग सड़क का चौड़ीकरण कर रहा है। मार्ग के किनारे 131 पतले वृक्ष शीशम, गुटेल, सिरस के लगे थे जिनका व्यास 0-1 से 10-20 है।
लोक निर्माण में कार्यरत बेलदार दरबारी पुत्र रामदेव के उकसावे पर स्थानीय नागरिकों द्वारा रातो-रात काट लिया गया। बेलदार के खिलाफ विभागीय एच-2 केस इजरा कर विधिक कार्रवाई की गई। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बेलदार दरबारी ने स्वीकार किया कि अवर अभियंता अमरेंद्र सिंह के निर्देश पर पेड़ों को कटवाया गया। पेड़ों को कटवाने के लिए उसने ही स्थानीय नागरिकों को उकसाया था। इस मामले में बेलदार, जेई और ठेकेदार के खिलाफ एच-2 केस दर्ज किया गया था।
जांच रिपोर्ट में उरूवा थाना अध्यक्ष पर भी आरोप है कि उन्होंने वन विभाग की टीम द्वारा आरोपी बेलदार के खिलाफ बिना समक्ष अधिकारी की अनुमति के एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया।
पीडब्ल्यूडी, कटान के लिए वन विभाग- पुलिस को बता रहा जिम्मेदार
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसपी सिंह पहले ही पेड़ों की कटान के लिए पुलिस और वन विभाग को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। उनका कहना था कि सड़क को दोनों तरफ दो-दो मीटर चौड़ा करना है। काटे गए पेड़ चौड़ीकरण के दायरे से बाहर थे। इसलिए न वन विभाग की एनओसी की जरूरत थी न पेड़ काटने की। उन्होंने कहा कि पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी वन विभाग एवं पुलिस की थी, उन्होंने अपने दायित्व का निवर्हन नहीं किया। आरोप लगाया कि उन्होंने बेलदार के साथ दुर्व्यवहार कर जबरन एस-2 केस बनाया। बल्कि उसके बयान के आधार पर जेई और ठेकेदार समेत ग्रामीणों को आरोपी बनाया। दरबारी ने भी आरोप लगाए थे कि उससे जबरन बयान लिए गए थे।
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