एनाटॉमी विभागाध्यक्ष के बर्खास्तगी प्रकरण में आज हो सकता है फैसला
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निर्देश के बाद एम्स पुनर्विचार करेगा 15 दिनों के अंदर
गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। एम्स के एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. कुमार सतीश रवि की बर्खास्तगी के प्रकरण पर एम्स की इंस्टीट्यूशन बॉडी बॉडी पुनर्विचार करेगा। इसे लेकर दोपहर में ऑनलाइन बैठक हो सकती है। इसे लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने एम्स प्रशासन को निर्देश दिया है कि पूरे प्रकरण की सुनवाई पूरी होने तक डॉ. सतीश रवि की बहाली करते हुए आवास उपलब्ध कराए जाए। साथ ही 15 दिनों के अंदर पूरे प्रकरण को निस्तारित करते हुए अवगत कराया जाए।
डॉ. कुमार सतीश रवि की तैनाती के दौरान ही यह आरोप लगा था कि आवेदन पत्र में डि-लिट् की जो डिग्री लगाई है, वह फर्जी है। इस प्रकरण की जांच शुरू हुई तो डॉ. सतीश ने यह बताया था कि उन्होंने तैनाती के जो जरूरी दस्तावेज और अर्हता था कि वह जमा किए गए थे। डी-लिट् उनकी अतिरिक्त योग्यता है और इसका उनकी तैनाती से कोई संबंध नहीं है। मामले को एम्स प्रशासन ने नहीं माना और 20 सितंबर को उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके बाद डॉ. सतीश ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में इसकी शिकायत की थी।
आयोग ने बर्खास्तगी को भेदभावपूर्ण बताते हुए सचिव स्वास्थ्य मंत्रालय एवं अध्यक्ष एम्स को इस प्रकरण की पुन समीक्षा कर 15 दिनों के अंदर पूरी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने अपने फैसले में लिखा है कि इस प्रकरण में डॉ. कुमार सतीश रवि को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया। पूरे मामले की निष्पक्ष रूप से समीक्षा की जा सकती है और इसे जनरल बॉडी या इंस्टीट्यूशन बॉडी की समीक्षा में रखा सकता है। इसके अलावा प्राथमिकता के आधार पर डॉ. रवि को संस्थान में बहाल करते हुए मामले के निस्तारित न होने तक आवास भी दिया जाए।
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सुनवाई के दौरान इनको रखा जाए दूर
इसके अलावा इस प्रकरण में डॉ. सतीश की तरफ से बनाए गए आरोपी डॉ. अशोक प्रसाद, डॉ. आरती लालचंदानी और डॉ. आरएन चौरसिया सुनवाई के दौरान न शामिल किया जाए। डॉ. सतीश को अपना पक्ष रखने के लिए पूरा मौका दिया जाए। इसके बाद एम्स प्रशासन ने आनन-फानन में मंगलवार को इंस्टीच्यूशन बॉडी की बैठक का फैसला लिया है। इसमें ऑनलाइन अध्यक्ष से लेकर अन्य अधिकारी और सदस्य शामिल होंगे।
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