एडीजी ने थपथपाई गोरखपुर पुलिस की पीठ, बोले-यहां कंट्रोल में है क्राइम
गोरखपुर के क्राइम पर एडीजी डीके ठाकुर ने कहा कि हाल की कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो आंकड़ों के हिसाब से गोरखपुर में क्राइम नियंत्रण में है। सनसनीखेज वारदातों में काफी कमी आई है। दिव्यांग की अपहरण के बाद...
गोरखपुर के क्राइम पर एडीजी डीके ठाकुर ने कहा कि हाल की कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो आंकड़ों के हिसाब से गोरखपुर में क्राइम नियंत्रण में है। सनसनीखेज वारदातों में काफी कमी आई है। दिव्यांग की अपहरण के बाद हत्या सहित अन्य जो वारदातें अभी सामने आई हैं उसमें प्रथमदृष्टया पुलिस की लापरवाही दिख रही है। अधिकारी उसकी जांच कराकर कार्रवाई कर रहे हैं। नकबजनी और स्नेचिंग की वारदातों में रोकथाम की जरूरत है। इस पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए।
एडीजी एटीएस डीके ठाकुर ने अपने दो दिवसीय दौरे के समापन पर पत्रकारों से बातचीत में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जिले में काफी संख्या में विवेचनाएं लम्बित हैं। मैने अधिकारियों से कहा है कि नए साल में जाने से पहले पुरानी सारी विवेचनाओं का निस्तरण कर लिया जाए। एडीजी ने सीओ दफ्तरों में डम्प पड़े चार्जशीट और एफआर को भी कोर्ट में दाखिल करने में तेजी ले आने के लिए कहा है। उन्होंने बताया मानीटरिंग सेल की बैठक में इस पर लगातार बात हो रही है। पिछले कुछ दिनों में काफी संख्या में चार्जशीट दाखिल कराए गए हैं। आने वाले दिनों में और भी संख्या कम होगी।
एडीजी ने कहा कि पुलिस लाइन के निरीक्षण में उन्हें साफ-सफाई की कमी मिली थी। दो बैरक काफी पुराने हैं, नए बैरक बनाए जा रहे हैं। 300 बेड के एक बैरक का निर्माण चल रहा है। जल्द ही काम पूरा हो जाएगा। जेल में निरीक्षण के दौरान पिछले दिनों हुए बवाल के सम्बंध में बंदियों ने कोई बात नहीं बताई।अधिकारियों ने बताया कि जेल के अंदर दो गुट बन गए थे, उनके बीच विवाद को लेकर बवाल हुआ था। उन्होंने कहा कि जेल में क्षमता से अधिक बंदियों के बंद होने की बात सामने आई । गोरखपुर जेल की क्षमता 822 बंदियों की है पर 1800 से ज्यादा बंदी हैं। ऐसी समस्या कमोवेश प्रदेश के सभी जेलों में है। डीएम, एसएसपी इस पर काम कर रहे हैं। जुर्माना सहित अन्य छोटी-मोटी वारदातों में सजा काट रहे काफी बंदियों को पिछले कुछ दिनों में छोड़ा गया है।
वाहनों मालिकों की तलाश करें, न मिले तो करें नीलाम
एडीजी ने थानों में सड़ रहे वाहनों को लेकर कहा है कि जिले के सभी थानों के ऐसे वाहन जो लावारिस हाल में दाखिल हैं और लम्बे समय से पड़े हैं उनके वाहन स्वामियों के बारे में एक बार और तलाश कराएं अगर कोई नहीं मिलता है तो नीलामी की कार्रवाई शुरू कराएं। वहीं मुकदमें से जुड़े वाहनों में जिनके मुकदमें का निस्तारण हो चुका है उनके भी नीलामी की कार्रवाई कराएं। राजघाट थाने के निरीक्षण में एडीजी को 85 वाहन ऐसे मिले जो नीलामी की श्रेणी में हैं।
रिटायर और ट्रांसफर पुलिसकर्मियों से आवास कराएं खाली
एडीजी ने पुलिस लाइन के अलावा विभिन्न थानों के आवास में रह रहे ऐसे पुलिसकर्मी और अधिकारी जो या तो रिटायर हो गए हैं या फिर उनका किसी और जिले में ट्रांसफर हो गया है और वे आवास खाली नहीं कर रहे हैं उनको नोटिस देकर आवास खाली कराने को कहा। राजघाट थाना परिसर के आवासों के निरीक्षण में उनके सामने इस तरह के मामले आए। पता चला कि रिटायर कर्मचारियों का आवासों पर कब्जा है।
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