अदाणी ग्रुप ने गीता प्रेस से मांगी एक करोड़ धार्मिक पुस्तकें
Gorakhpur News - अदाणी ग्रुप ने प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं में गीता प्रेस की 'आरती संग्रह' की एक करोड़ प्रतियां वितरित करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, गीता प्रेस के लिए यह प्रस्ताव जटिल साबित हो रहा...
गोरखपुर, रूद्र प्रताप सिंह अदाणी ग्रुप ने प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं में गीता प्रेस की ‘आरती संग्रह नामक पुस्तक की एक करोड़ प्रतियां वितरित करने की योजना बनाई है। इस संदर्भ में अदाणी ग्रुप ने गीता प्रेस को प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, गीता प्रेस के लिए कई कारणों से यह प्रस्ताव जटिल साबित हो रहा है।
अदाणी ग्रुप के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में गीता प्रेस का दौरा किया था। इसके बाद औपचारिक मेल के जरिए अपनी मांग रखी। ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि उसे ‘आरती संग्रह पुस्तक की एक करोड़ प्रतियां चाहिए। साथ ही पुस्तक के पिछले पृष्ठ पर महाकुंभ और गीता प्रेस के बारे में गौतम अदाणी के भावपूर्ण संदेश के साथ उनकी फोटो प्रकाशित करने की इच्छा जताई है। एक करोड़ ‘आरती संग्रह छापने के लिए गीता प्रेस को अन्य नियमित ग्रंथों और पुस्तकों की छपाई रोकनी पड़ेगी। अभी तक गीता प्रेस ने अदाणी ग्रुप के प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। प्रबंधन इस बात पर चर्चा कर रहा है कि क्या सीमित संख्या में ‘आरती संग्रह पुस्तकें छापना संभव है। बता दें कि गीता प्रेस प्रतिवर्ष लगभग तीन करोड़ धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करता है।
आज तक नहीं छपा विज्ञापन और न किसी की फोटो
अदाणी ग्रुप के प्रस्ताव के संदर्भ में गीता प्रेस के लिए एक नैतिक अड़चन भी है। दरअसल, गीता प्रेस की पुस्तकों में पिछले सौ वर्षों में आज तक किसी भी प्रकार का विज्ञापन नहीं छपा है। न ही किसी व्यक्ति का संदेश प्रकाशित किया गया है। यह परंपरा महात्मा गांधी के सुझाव पर शुरू हुई थी। गीता प्रेस की मासिक पत्रिका ‘कल्याण का प्रकाशन शुरू होने पर गांधीजी ने इसके संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार को सलाह दी थी कि वह पत्रिका में न तो विज्ञापन छापें और न ही पुस्तक समीक्षा प्रकाशित करें।
महाकुंभ के लिए गीता प्रेस भी तैयारियों में जुटा
गीता प्रेस खुद भी महाकुंभ 2025 के लिए तैयारी कर रहा है। वह चार प्रमुख स्थानों पर अपने स्टॉल लगाकर धार्मिक पुस्तकों को श्रद्धालुओं में वितरित करेगा। इसके अतिरिक्त, उनकी प्रमुख पत्रिका ‘कल्याण का विशेष पर्यावरण अंक भी लाखों की संख्या में छापने की तैयारी है।
विस्तार की योजना है लंबित
गीता प्रेस ने सरकार और गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) से जमीन की मांग की है। गीडा में 20 एकड़ जमीन पसंद आई है, लेकिन इसके लिए 72 करोड़ रुपये चाहिए। गीता प्रेस ने संस्कृति मंत्रालय से अनुरोध किया है कि उसे यह जमीन चैरिटी संस्थानों की तरह उपलब्ध कराई जाए।
बोले ट्रस्टी
गीता प्रेस के लिए यह प्रस्ताव केवल व्यावसायिक नहीं, बल्कि नैतिक, परंपरागत और प्रबंधन से जुड़ा मामला है। इसपर विचार किया जा रहा है। बहुत जल्द फैसला लिया जाएगा। गीता प्रेस की पुस्तक में किसी की फोटो किसी भी दशा में नहीं लग सकती।
- देवी दयाल अग्रवाल, ट्रस्टी, गीताप्रेस
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