69 स्कूली वाहनों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू
Gonda News - गोण्डा में परिवहन विभाग ने बिना फिटनेस वाले 69 स्कूली वाहनों के रजिस्ट्रेशन समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग की चेतावनी के बावजूद 100 से अधिक वाहन फिटनेस नहीं करा रहे हैं। स्कूल वाहनों के...

गोण्डा, संवाददाता। स्कूली वाहनों की लापरवाही पर संभागीय परिवहन विभाग अब सख्त रुख अपनाने के मूड़ में आ गया है। अब विभाग ने बिना फिटनेस वाले और बार - बार नोटिस देने के बाद भी फिटनेस न लेने वाले 69 स्कूली वाहनों के रजिस्ट्रेशन समाप्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगर ऐसे स्कूली वाहनों के संचालक न चेते तो बहुत जल्दी ही 69 स्कूली वाहनों के रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए जाएंगे। परिवहन विभाग के जिम्मेदारों ने बताया कि रजिस्ट्रेशन समाप्ति होने की प्रक्रिया वाले सभी वाहन 15 वर्ष पुराने हैं। विभाग की चेतावनी के बाद भी 100 से अधिक स्कूली वाहनों ने फिटनेस नहीं कराया है।
परिवहन विभाग ही नहीं, जिला प्रशासन भी इसको लेकर सख्त रुख अपना रहा है। कमिश्नर, डीएम भी ऐसे वाहनों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दे चुके हैं फिर भी स्कूली वाहनों के संचालक फिटनेस लेने कार्यालय आने की जोखिम नहीं उठा रहे हैं। हाल ही में परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र देने के लिए दो दिवसीय कैंप भी लगाया लेकिन इसमें भी ऐसे स्कूली वाहनों के संचालकों ने रुचि नहीं दिखाई। इक्का-दुक्का लोगों को छोड़ कर कोई भी फिटनेस प्रमाण पत्र लेने के लिए नहीं फटका। जिसको लेकर अब परिवहन विभाग सख्त हो गया है। वैसे अब भी नगर व ग्रामीण दोनों क्षेत्र में विद्यालयों बच्चे मैजिक, टेंपो व स्कूली बसों से भरकर लाए और छुट्टी के बाद ले जाए जाते हैं। कहीं-कहीं यह वाहन स्कूल की ओर से संचालित किए जाते हैं तो कहीं लोग खुद ही संचालित करते हैं । कई वाहन तो इतने जर्जर दिखते हैं कि उनकी बगल से गुजरने से भी डर लगता है। इन वाहनों में केवल चालक के ही सहारे बच्चे होते हैं। स्कूली वाहन के लिए मानक पूरा करने को कौन कहे इन वाहनों में आग बुझाने व प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं रहती। कई वाहनों में तो स्कूल प्रबंधक व प्रधानाचार्य का नंबर भी नहीं लिखा होता और महिला सहायक तो किसी स्कूल बस में दिखाई नहीं देती। वहीं स्कूली वाहनों के लिए मानक बनाए गए हैं। स्कूली वाहनों का रंग पीला होना चाहिए। जिससे दूसरे वाहन चालकों को स्कूल बस की जानकारी हो सके । स्कूल बस की स्पीड 50 किमी प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम होना जरूरी है, ताकि अभिभावकों को बच्चों की लोकेशन की पूरी और सही जानकारी हर मिनट मिल सके। वाहन में ड्राइवर के साथ कंडक्टर होना अनिवार्य है लेकिन किसी भी वाहन में ऐसा नहीं होता है।इसके अलावा स्कूल बस की खिड़कियों पर 3 सेफ्टी ग्रिल लगी होनी चाहिए और उन ग्रिल की आपस की दूरी पांच से सात इंच होनी चाहिए है लेकिन इन मानकों का प्रयोग बहुत ही कम स्कूली वाहनों में देखने को मिल रहा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।