काटे जा रहे राशनकार्ड और टूट रहे हैं रिश्ते..
गोण्डा में गरीब और जरुरतमंदों के राशन कार्ड कटने से समस्या बढ़ गई है। आयकर और जीएसटी विभाग ने आधार कार्ड का दुरुपयोग कर लाखों रुपये का व्यवसाय किया है। इससे हजारों राशन कार्ड निरस्त किए जा रहे हैं,...
गोण्डा, संवाददाता। उन गरीब व जरुरतमंदों के सामने बड़ी मुश्किलें शुरु हो गई है, जिन्होने भरोसे में अपने नजदीकियों को आधार कार्ड व फोटो आदि दे दिए। इससे न सिर्फ उनका दो जून का निवाला छिन रहा है बल्कि, सामाजिक ह्वास भी हो रहा है। बताया जा रहा है कि ऐसे आधार कार्डो व फोटो के जरिए लाखों रुपये का व्यवसाय करने में आयकर व जीएसटी विभागों ने चिह्निंत कर लिया और उसकी सूची पूर्ति विभाग को भेज दी है। जिसके चलते नियमों के दायरे में आ जाने से बड़ी संख्या में राशन कार्ड काटे जा रहे हैं और रिश्ते टूट रहे हैं। राशन कार्ड को काटे जाने का यह खेल अब गांव गांव चल रहा है। विभाग के नियमों के मुताबिक दो लाख से अधिक सालाना आय वाले परिवारों के राशन कार्डो को स्वत: निरस्त कर दिया जाएगा। जिले में ऐसे आयकर व जीएसटी सूची से करीब आठ हजार राशन कार्डो को चिह्निंत किया जा चुका है। इनमें करीब ढाई हजार राशन कार्डो को काटने की कार्रवाई शुरु कर दी गई है। बताया जा रहा है कि असलियत में ऐसे सैकड़ों की संख्या में राशन कार्डो के स्वामी अत्यंत निर्धन व जरुरतमंद हैं। लेकिन गांव के रसूखदार व नजदीकियों ने उनसे व्यवहार में आधार कार्ड व फोटो आदि लेकर उस पर धंधा कर लिया। पड़ताल के दौरान यह भी पता चला कि कईयों को मामूली रकम त्योहार आदि के उपलक्ष में भेंट स्वरुप देकर एहसान भी कर दिया। लेकिन बाद में अब उनके राशन कार्डो के कटने और प्रति माह अनाजों के नहीं मिलने से निवाला छिन जा रहा है। जिसकी शिकायतें अब रोजाना विभाग के कार्यालय में पहुंच रही है।
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राशन कार्डो को जोड़वाने-कटवाने में माननीय दे रहे दांव
आयकर व जीएसटी की सूची के आधार पर जिले के हर क्षेत्रों से राशन कार्ड कट रहे हैं। बताते हैं कि विभाग के पोर्टल पर संबंधित राशन कार्ड धारक की आय सीमा नियमों के तहत पार करते ही चिह्नित हो जा रहा है। ऐसे राशन कार्डो को जोड़वाने व कटवाने में माननीय भी दांव दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि समर्थक कार्डधारकों के लिए अधिकारियों के पास सूचनाएं भेज दी जा रही हैं।
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आयकर व जीएसटी की सूची के आधार राशन कार्ड धारकों की आय-सीमा पार होते ही चिह्निंत कर दिए जा रहे हैं। ऐसे में उन राशन कार्डो को काटने की मजबूरी है, पीड़ित की शिकायत के बाद में जांच कराई जाती है।
- कृष्ण गोपाल पांडेय डीएसओ
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