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घाघरा में पानी घटते ही शुरू हुई कटान

Gonda News - घाघरा नदी का जलस्तर चार दिनों में 92 सेंटीमीटर घटकर खतरे के निशान पर पहुँच गया है। कटान रोकने के लिए बाढ़ खंड के अधिकारियों ने उपाय किए हैं। सरयू नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान के पास आ गया है। बारिश...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोंडाThu, 19 Sep 2024 08:37 PM
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घाघरा में पानी घटते ही शुरू हुई कटान

करनैलगंज, संवाददाता। बीते दिनों घाघरा में आए उफान का कहर अब थम चुका है। जिस गति से घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ा था उसी गति से उसके घटने का क्रम जारी है। चार दिनों में घाघरा नदी का जलस्तर 92 सेंटीमीटर घटकर खतरे के निशान के बराबर पहुंच गया है। ग्राम बहुवन मदार माझा के पास घटते जलस्तर के साथ कटान तेज हो गई। बाढ़ खंड द्वारा कटान को काबू में रखने के लिए लगाए गए बैम्बू कैरेट, ब्रेकरोरा सहित अन्य सामग्री को अपनी धारा में समाहित कर लिया है। गुरुवार को बाढ़ खंड के अधिकारियों ने फिर से वही उपाय करते हुए कटान को रोकने की जद्दोजहद तेज करते नजर आए। घटते हुए जलस्तर से हो रही कटान को रोकते रोकते नदी कई मीटर तक कटान कर चुकी है। जहां बाढ़ खंड के अधिकारी कटान को रोकने और बांध को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उस स्थान से अगल-बगल भी कटान तेज हो रही है। मगर बाढ़ के अंतिम दौर में होने के नाते वहां बांध को किसी प्रकार का खतरा नहीं है। पुनः पानी बढ़ने पर दिक्कतें आ सकती हैं। मगर जहां बांध के समीप नदी कटान कर रही है वहां बृहस्पतिवार को फिर से कटान रोकने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

उधर सरयू नदी तीन दिन पहले खतरे के निशान से 92 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई थी और मंगलवार शाम से जलस्तर घटने का सिलसिला शुरू हुआ तो जिस गति से नदी का जलस्तर बढ़ा था उसी गति से उसमें गिरावट भी आई है। गुरुवार की शाम तक सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के बराबर आ गया और डिस्चार्ज भी करीब ढाई लाख क्यूसेक हो गया है। जिससे अनुमान है कि इस वर्ष अब जलस्तर में बढ़ोतरी नहीं होगी और बारिश की संभावना भी कम होने के नाते बाढ़ का भी अंतिम दौर माना जा रहा है। बांध पर बचाव कार्य में लगे सहायक अभियंता अमरेश सिंह, अवर अभियंता रवि वर्मा का कहना है कि जो भी सामग्री कटान को रोकने के लिए नदी के किनारे लगाया गया था वह सामग्री नदी में बैठ गई है। फिर से बैम्बू कैरेट, ब्रेकरोरा और पेड़ की डालियों को डालकर कटान को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि कटान रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है।

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