कुरआन को अपने सीने में महफूज रखते हैं बच्चे: मकसूद
मदरसा दारुल उलूम कादरिया में जश्ने-ए-दस्तरबंदी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें 51 छात्रों को दस्तारबंदी कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि मौलाना सैय्यद मुईन अशरफ मियां और अन्य उलमा मौजूद रहे। कार्यक्रम...
मेहनौन, संवाददाता। मदरसा दारुल उलूम कादरिया ग़ुलशने बरकात इटियाथोक के प्रांगण में आयोजित जश्ने-ए-दस्तरबंदी कार्यक्रम में सूबे के नामचीन उलमाओं की मौजूदगी में मदरसे के 51 छात्रों की दस्तारबंदी कर उपाधि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मौलाना सैय्यद मुईन अशरफ मियां विशिष्ठ अतिथि के रूप में सरपरस्त मौलाना अब्दुल हफीज एवं मौलाना मकसूद अहमद बरकाती मौजूद रहे। मदरसे के छात्र मो अख्तर ने कुरआन की तिलावत से कार्यक्रम की शुरुआत की। मौलाना मकसूद अहमद बरकाती ने कहा कि मदरसे में छात्र कुरआन मुकम्मल कर उसको अपने सीने में महफूज रखते है। नस्लों को बेहतर बनाने में मां और बहनों का अहम रोल होता है। मदरसे से हिफ़्ज की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र मुल्क के अलग-अलग सूबे में दीन की खिदमत को अंजाम देते है। मौलाना अल्लाबक्श ने कहा दीनी इदारें कायम करो जिससे मस्जिद और खानकाह आबाद रहे। मौलाना खालिद अय्यूब ने कहा कि मुसलमान के अच्छे मुस्तकबिल के लिए पहले शिक्षा उसके बाद दीनी तालीम जीवन में जरूरी है। कहा कुरआन पाक की पहली आयत 'इकरा' है जिसका अर्थ है शिक्षा। कार्यक्रम में नात-ए-पाक के लिए आए मारूफ शायर कारी सरफराज मुबारकपुरी ने पढ़ा 'यह मयकदा तो नहीं है जहां कोई बहके, यहां पे जामे शरीयत पिलाया जाता है'। कार्यक्रम के अन्त में मौलाना अब्दुल हफीज ने मुल्क की सलामती के लिए दुआ मांगी। कार्यक्रम का संचालन कैसर आजमगढ़ी ने किया। इस दौरान संरक्षक मुफ्ती अब्दुल हक रजवी, प्रबंधक मौलाना नजमुल हक खान, मौलाना नुरुल हक खान, सैयद वकास अहमद देवा, मौलाना मुर्तुजा, मौलाना वकील, कारी शमीम, सेठ खतीबउल्ला खान, सेठ रिजवान खान, सेठ अब्दुल मजीद इदरीसी, गुलज़ार अहमद, अजीज टामी, नौशाद अहमद, इसरार शेख, शाहिद इदरीसी, अदील चौधरी प्रधान, नजीम खान प्रधान सहित आदि लोग मौजूद रहे।
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