शराब की दुकानें बनीं जंजाल, कौन हटाए किसकी मजाल
Gonda News - गोंडा जिले में 391 शराब की दुकानें संचालित हैं, जिनमें से 209 देशी और 134 अंग्रेजी शराब की दुकानें शामिल हैं। स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानों के कारण छात्राओं और महिलाओं को परेशानियों...
- 391 शराब की दुकानें पूरे जिले में संचालित की जा रही हैं - 209 देशी शराब की दुकानें पूरे जिले में चलाई जा रही हैं
- 134 अंग्रेजी शराब की दुकानें व 41 भांग की दुकानें हैं
- 07 मॉडल शाप भी जिले में संचालित हो रहे हैं
शराब की कई दुकानें लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। कहीं स्कूल के तो कहीं बस अड्डे के ठीक सामने शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं। उधर से गुजरने वाली छात्राएं व महिलाएं नशेड़ियों के छींटाकशी की शिकार भी होती हैं। यह शराब की दुकानें रसूखदार लोगों की हैं, इसलिए लोग आवाज उठाने से भी कतराते हैं। कई शैक्षिक संस्थानों के जिम्मेदारों ने लिखा-पढ़ी भी की लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती ही साबित हुई। यह स्थिति तब है जबकि शराब की दुकान के चक्कर में गायत्रीपुरम चौराहे पर डबल मर्डर तक हो चुका है। यही नहीं नशेड़ियों से आजिज शहर के एक मोहल्ले की महिलाएं शराब की दुकान तक जला चुकीं हैं। ऐसा करने वाली महिलाओं को कड़ी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा है। हिन्दुस्तान ने शराब की दुकानों को लेकर लोगों से बातचीत की है। लोगों ने अपना दर्द भी बयां किया है।
गोण्डा। जिले में शिक्षण संस्थानों और शहर की सड़कों पर शराब का ठेका सारे नियम को दरकिनार करके संचालित किया जा रहा है। बताया जाता है कि नियमानुसार अस्पताल, बैंक, मंदिर, मस्जिद व अन्य धार्मिक स्थल, स्कूल और घनी आबादी के 80 मीटर दायरे तक शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती। इसके बावजूद रसूखदार दुकान संचालक आबकारी विभाग के सभी नियमों की धज्जियां उड़ाकर दुकान संचालित कर रहे हैं। यही नहीं गली-मोहल्लों से लेकर विद्यालयों और धार्मिक स्थलों के आसपास तक शराब की दुकानें खोल दी गईं हैं। दुकान खोलने से पहले आसपास के लोगों से पूछा तक नहीं जाता है जबकि बिना नोटिस और लोगों की सहमति के बगैर शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती है।
बताया तो यह भी जाता है कि विद्यालय के 50 मीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं खुल सकती हैं। मगर विभाग से सेटिंग-गेटिंग कर अम्बेडकर चौराहे पर सेंट थॉमस स्कूल से सटी चारदीवारी पर हाईवे पर शराब की दुकान धड़ल्ले से चल रही है। यहीं हाल शहर के नामचीन सरकारी स्कूल जीआईसी का भी है। शहर के सबसे प्रतिष्ठित यूपी बोर्ड के जीआईसी स्कूल के मुख्यद्वार के ठीक सामने अंग्रेजी शराब की दुकान खोल दी गई है। सुबह दस बजे से ही इस दुकान पर नशेड़ियों का जमावड़ा हो जाता है। कई नशेड़ी तो ऐसे भी हैं जो सुबह दुकान खुलते ही पहुंच जाते हैं और टल्ली होकर उधर से गुजरने वाली महिला व छात्राओं पर छींटाकशी करते देखे जाते हैं।
रोडवेज बस अड्डे के ठीक सामने वाले मॉडल शाप का भी यही हाल है। बताया जाता है कि अक्सर रात में पहुंचने वाली बस से उतरने वाली महिलाओं को भी नशेड़ियों की छींटाकशी का शिकार होना पड़ता है। होता यह है कि महिलाओं को अपने गंतव्य तक जाने के लिए बस अड्डे पर इंतजार करना पड़ता है, इस दौरान वहां मौजूद शराब के नशे में चूर लोग लोग अनाप - शनाप बातें करने लगते हैं। कई बार इसकी शिकायत भी बगल में मौजूद पुलिस चौकी तक पहुंचती है, जिस पर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत होता है।
जीआईसी प्रधानाचार्य ने लिखी जिम्मेदारों को चिट्ठी
गोंडा। शहर के गुरुनानक चौराहे से बस अड्डे की तरफ बढ़ने पर फखरुद्दीन अली अहमद जीआईसी इंटर कॉलेज स्थित है। यहां के प्रधानाचार्य शैलेश कुमार पटेल ने जिले के उच्च अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। जिसमें विद्यालय के सामने पटरी के किनारे संचालित हो रही शराब की दुकान को हटाने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि आए दिन विद्यालय परिसर में शराब के बोतलों की ढेर मिलती है और छात्रों के साथ नशे में धुत व्यक्ति अभ्रद्रता करते हैं। जिस पर दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। प्रधानाचार्य का कहना है की विद्यालय के आसपास शराब और नशे की कोई भी सामग्री नहीं बिकनी चाहिए। इससे छात्रों पर गलत असर पड़ता है। जिसको लेकर कई बार लिखा पढ़ी की गई लेकिन कोई अधिकारी सुनने वाला नहीं है।
आवासीय क्षेत्र से 50 मीटर दूर होनी चाहिए शराब की दुकान: बताया जाता है कि किसी भी शराब की दुकान आवासीय आबादी के 50 मीटर दूर खोलने का नियम है लेकिन यहां पर अस्पताल, बैंक, बस अड्डा और विद्यालय के आसपास शराब की दुकानें खुली नजर आती हैं। हाल यह है कि शहर में अधिकांश शराब की दुकानें आवासीय इलाकों में ही खुली हैं। शहर में मीना कांप्लेक्स के बगल, महाराजगंज रोड, बस अड्डे पर शराब की दुकानों से पीकर लौटे शराबियों व राहगीरों और स्थानीय निवासियों की झड़प होती है। मॉडल शॉप पर देर रात तक अराजकतत्वों के जमावड़े का एक स्थान बन गया है।
इन जगहों की शराब की दुकानों बनी मुसीबत का सबब : शहर में पोर्टर गंज बाजार में हाईवे, अम्बेडकर चौराहा हाईवे मार्ग, फखरुद्दीन इंटर कॉलेज के सामने, बंधन बैंक बहराइच रोड के सामने, मीना कांप्लेक्स के बगल, गायत्री पुरम चौराहा, बस अड्डा पर मॉडल शॉप, पीएनबी के सामने, महाराजगंज रोड, सूरज होटल रोड, बड़गांव पुलिस चौकी चौराहा, जीजीआईसी के सामने हाईवे मार्ग पर शराब की विभिन्न प्रकार की दुकानें लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं। इन दुकानों में कइयों के विरुद्ध आवाज भी बुलंद हुई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। रसूख के बल पर शिकायतकर्ताओं को ही दबा दिया गया और दुकानें धड़ल्ले से संचालित होती रहीं।
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गांव-गांव पैर पसार रहा नशे का कारोबार
जिले में गांव-गांव नशे का कारोबार पैर पसारने लगा है, जो समाज के लिए खतनाक साबित हो रहा है। जिले के दूरदराज इलाकों में प्रतिदिन युवा नशे से जुड़ी सामग्री की तलाश में रहते हैं। सैकड़ों नए युवा प्रतिदिन गिरफ्त में आ रहे हैं। बदलते समय में नशे का कारोबार तेजी से युवाओं को जकड़ने में लगा हुआ है। जोकि समाज के लिए बड़ी समस्या है। ग्रामीणों का कहना हैं कि करीब एक दशक पहले लोग नशे की सामग्री को खरीदने से हिचकते थे लेकिन बदलते डिजिटल युग में आज का युवा तेजी से इस दलदल में समाने लगा है।
नाट्य कार्यक्रमों के जरिए नशा नहीं करने को लेकर कर रहे जागरूक
जिले में कई सामाजिक संस्था नाट्य कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में नशे को लेकर जागरूक कर रहे हैं। अनाम संस्था के संचालक देवव्रत सिंह का कहना है कि नशा बदलते परिवेश में गांव के भोले-भाले लोग लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि वह नाट्य कार्यक्रमों के जरिए नशे से होने वाले नुकसान से लोगों को सतर्क कर रहे हैं। नेहरू युवा केंद्र संचालक रजनीकांत तिवारी ने बताया कि आज युवाओं में नशा तेजी से बढ़ा है। इससे बचने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
प्रस्तुति : प्रदीप तिवारी/रंजीत तिवारी
बोले लोग....
नशा एक दीमक की तरह है जो युवा पीढ़ी को अपराध और मौत की तरफ धकेल रहा है। हम सबको मिलकर इसको जड़ से समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
-अरुण सिंह, अध्यक्ष परसपुर विकास मंच
नशा युवाओं का ही नहीं समाज के भविष्य का भी विनाश कर रहा है, इसे रोकना होगा। जिले में स्कूल मंदिरों के पास संचालित शराब की दुकानों को बंद किया जाना चाहिए।
- रजनी कान्त तिवारी
नशे से मुक्ति पाना वर्तमान में लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। युवा पीढ़ी इससे ज्यादा प्रभावित है। सरकार राजस्व बढ़ाने के चक्कर शराब व भांग के ठेके संचालन नियम का अनुपालन भूल जाती है।
-विनय श्रीवास्तव
नशा सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे परिवार का विनाश करता है। महिलाएं इससे बचने में अहम भूमिका निभा सकती है। महिलाओं को आगे आना चाहिए।
- श्रुतिका
समाज में युवा नशे को शान और दिखावा मानते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि नशे के बिना जश्न अधूरा है। युवा और बच्चे भी नशीले पदार्थों का सेवन करते नजर आते है। इस पर पाबंदी लगनी चाहिए।
- अविनाश सिंह
शराब के साथ सूखा नशा युवाओं में हावी हो रहा है। जिले में मंदिरों, स्कूलों व हाईवे किनारे अधिकांश दुकानों का संचालन किया जाता है। जिसे बंद किया जाना चाहिए। युवाओं को नशे से बचना चाहिए।
-अंशुमान मिश्रा
शराब की दुकानें विभागीय मानक के अनुसार ही संचालित की जानी चाहिए। शिकायत पर जिम्मेदारों को तुरंत कार्रवाई भी करनी चाहिए। स्कूल के पास दुकानें बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
-संजय सिंह
शराब व कोई भी नशा सबसे अधिक महिलाओं को ही पीड़ा पहुंचाता है। दिन भर काम करने के बाद पति के शराब के नशे में होने वाली मारपीट से जीवन नर्क बन जाता है। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
-अंजली पाठक
देश का भविष्य और तरक्की युवाओं के कंधों पर टिकी होती है। अगर युवा गलत रास्ते पर चले जाते हैं, तो उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है। नशे न सिर्फ घर से बल्कि समाज के लोगों से दूरी हो जाती है।
-पंकज सिन्हा
धार्मिक स्थलों व स्कूलों के आसपास किसी भी प्रकार की नशे वाले पदार्थों की बिक्री नहीं होनी चाहिए। इस पर स्थानीय प्रशासन को भी मामला संज्ञान में लेते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
-स्वाति मौर्या
आबादी के आसपास भी शराब व अन्य किसी भी नशीले पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। जहां भी बीच मोहल्ले में ऐसी दुकानें हों, वहां भी महिलाओं को आवाज उठानी चाहिए।
-सरोज सिंह
कोई भी नशा किसी को भी लाभ नहीं पहुंचा सकता है। सरकार को चाहिए कि अन्य कई प्रदेशों की भांति यहां भी शराब बंदी का नियम कड़ाई से लागू किया जाए। सारी समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी।
नशाखोरी को समाप्त करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। बच्चों के बीच इसे और भी प्रभावी ढंग से चलाया जाता है, इसके बाद भी स्कूल के पास मदिरा की दुकानें खोल दी जाती हैं, यह गलत है।
-क्षितिज मिश्रा
बिहार की तरह यूपी में भी शराब बंदी की नीति अपनाई जानी चाहिए। शराब बंदी से युवा पीढ़ी बर्बाद होने से बच जाएगी। लोगों का घर उजड़ने से भी बचाया जा सकता है।
-विवेक मिश्रा
बोले जिम्मेदार....
दुकानों को मानक के अनुसार ही संचालित कराया जा रहा है। जहां से भी कोई शिकायत मिलती है, वहां की जांच कराकर कार्रवाई भी की जाती है। किसी को कोई तकलीफ न पहुंचे, इसका विशेष ख्याल रखा जाता है।
-प्रगल्भ लवानिया, सहायक आबकारी आयुक्त
कालेज के ठीक सामने अंग्रेजी शराब की दुकान संचालित है। आए दिन शराबियों द्वारा छात्रों से बदसलूकी की जाती है। कालेज के अंदर शराब की बोतलें फेंकी जाती हैं। दुकान हटाने के लिए जिम्मेदारों को पत्र भी लिखा गया है।
-शैलेष कुमार पटेल, प्रधानाचार्य, जीआईसी
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