श्रीराम-भरत का उदाहरण देकर जज ने भाई के हत्यारे को सुनाई फांसी की सजा, भतीजे को भी मृत्युदंड
श्रीराम-भरत के त्याग का उदाहरण देकर बरेली में 16 बीघा जमीन के लालच में बेटे के साथ मिलकर अविवाहित भाई की हत्या करने के मामले में फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने सगे भाई रघुवीर सिंह और भतीजे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई है।
श्रीराम-भरत का उदाहरण देकर बरेली में 16 बीघा जमीन के लालच में बेटे के साथ मिलकर अविवाहित भाई की हत्या करने के मामले में फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने सगे भाई रघुवीर सिंह और भतीजे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पिता-पुत्र को मरने तक फांसी के फंदे पर लटकाने का कड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने हत्यारे भाई पर एक लाख रुपये और भतीजे पर एक लाख दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाते समय जज ने अपने फैसले में श्रीरामचरित मानस के श्रीराम और भरत संवाद का भी जिक्र किया।
उन्होंने लिखा कि श्रीराम और भरत का उदाहरण महान त्याग और समर्पण का प्रतीक है। श्रीराम को रघुवीर के नाम से जाना जाता है। चरन सिंह के हत्यारोपी भाई रघुवीर ने श्रीराम के आचरण के विपरीत कृत्य किया है। ऐसे दयाहीन व्यक्ति का जीवित रहने के बजाय उसे मृत्युदंड दिया जाए। अगर ऐसे व्यक्ति को मृत्युदंड नहीं दिया तो कोई भी भाई मात्र सम्पत्ति के लालच में सगे भाई की निर्मम हत्या कर देगा। कोर्ट ने लिखा है कि एक भाई दूसरे भाई की समस्याओं का समाधान मिलकर करते हैं। वहीं रघुवीर ने अपने बेटे के साथ मिलकर अपने सगे भाई का फरसे से गला काटकर पशुवत निर्मम हत्या की है।
क्या है पूरा मामला
एडीजीसी क्राइम दिगंबर पटेल ने बताया कि बहेड़ी क्षेत्र के भोजपुर गांव के 42 वर्षीय अविवाहित चरन सिंह का 20 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई थी। उसके भाई रघुवीर सिंह ने कोतवाली बहेड़ी में अपने ममेरे भाई हल्दी खुर्द निवासी हरपाल के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस की विवेचना में पता चला कि मृतक के निसंतान मामा भूपसिंह ने बीस बीघा कृषि भूमि और पूरी संपत्ति अपनी बहन यानि चरन सिंह की मां ओमवती के नाम कर दी थी।
भूप सिंह की मृत्यु के बाद चरन सिंह अपनी ननिहाल में रहकर मामा की पूरी जमीन की देखभाल करता था। चरन सिंह के नाम अपने पिता के हिस्से की 16 बीघा जमीन थी। रघुवीर सिंह को शक था कि अविवाहित चरन सिंह अपने हिस्से की जमीन सौतेले भाई धर्मपाल को दे देगा। इसीलिए रघुवीर ने अपने बेटे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह के साथ मिलकर अपने सगे अविवाहित भाई चरन सिंह की हत्या कर दी।
कोर्ट में गवाही के दौरान मृतक की मां ओमवती, सौतेला भाई धर्मपाल सिंह, हरपाल सिंह, ग्राम प्रधान अतर सिंह और नत्थूलाल अपने बयानों से मुकर गये थे। वहीं मृतक के बहनोई प्रवीर सिंह और बहन सरोज ने हत्यारे भाई रघुवीर सिंह और भतीजे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह के खिलाफ गवाही दी। दोनों पक्ष की दलीलों को सुनकर कोर्ट ने हत्यारे भाई रघुवीर सिंह और भतीजे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई।
फरसे से पशुवत गर्दन काटना बना फांसी की सजा का आधार
चरन सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर फरसे की तीन चोटें थी। सीने पर दो गोलियां भी लगी थी। सरकारी वकील दिगंबर पटेल और सौरभ तिवारी ने बहस के दौरान दलील दी कि हत्यारोपी भतीजे मोनू ने अपने चाचा चरन सिंह को तमंचे से दो गोली मारी। रघुवीर सिंह ने फरसे से वार कर भाई की गर्दन काटकर निर्मम पशुवत हत्या की है। संपत्ति की लालच में सुनोयोजित तरीके से भाई की हत्या कर निर्दोष ममेरे भाई को फंसाने के लिए रिपोर्ट दर्ज कराकर रघुवीर सिंह ने पारिवारिक मूल्यों की भी हत्या की है।
मां, सौतेला भाई, परिजन, ग्राम प्रधान मुकरे, बहन-बहनोई ने दी डटकर गवाही
चरन सिंह मर्डर केस में मृतक की मां ओमवती, सौतेला भाई धर्मपाल, ग्राम प्रधान अतर सिंह, रिश्तेदार हरपाल सिंह, परिजन नत्थूलाल और जबर सिंह अपने बयानों से पूरी तरह से मुकर गये। तब शासकीय अधिवक्ता दिगंबर पटेल और सौरभ तिवारी ने मृतक के बहनोई प्रवीर सिंह व बहन सरोज को गवाही में पेश किया। बहन-बहनोई ने रघुवीर और मोनू के खिलाफ कोर्ट में डटकर गवाही दी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता की जोरदार जिरह में भी बहन-बहनोई अपने बयानों से कतई हटे नहीं। हत्यारे भाई रघुवीर और भतीजे मोनू को सजा दिलाने में बहन बहनोई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही।