माह-ए-रमजान में जकात व फितरा का है महत्व
Ghazipur News - गाजीपुर। वरिष्ठ संवाददाता रमजान के चौथे दिन शहर से लेकर देहात तक सभी...
गाजीपुर। वरिष्ठ संवाददाता
रमजान के चौथे दिन शहर से लेकर देहात तक सभी मस्जिदों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पवित्र माह-ए-रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की गई। सुबह सहरी को अजान हुई और सहरी के बाद नमाज के साथ चौथे रोजे का आगाज हुआ। अल्लाह से इस कोरोना महामारी से सभी लोगों को महफूज रखने की दुआ मांगी गई। मौलानाओं ने तरावीह की नमाज में बताया कि रोजा रखने की बहुत सारी फजीलतें हैं। बगैर किसी सही मजबूरी के जो शख्स माह-ए-रमजान मुबारक का एक दिन रोज छोड़ देता है, उस शख्स को नौ लाख बरस जहन्नुम की आग में जलना पड़ेगा। हुजूर सलल्लाहो अलैह वसल्लम ने इरशाद फरमाया है कि जो रमजान का एक दिन का रोजा बगैर रुखसत व बगैर मर्ज के नहीं रखता है, तो जमाने भर का रोजा उसकी कजा नहीं हो सकता, अगर वह बाद में रख भी ले। वे फजीलत जो माह-ए-रमजान में रोजा रखने की थी, अब वह किसी तरह पा नहीं सकता।
गाजीपुर में शनिवार को रमजान माह के पहले जुमे की नमाज अदा की गई, कोरोना संक्रमण के कारण रमजान जैसे पवित्र महीने के जुमा पर मस्जिदो में नमाजियों की भीड़ नही जुटी। महुआबाग, विश्वेश्वर गंज, कालीनगर, वाराणसी चुंगी, समेत तमाम जगह पर गिने-चुने लोगों ने मस्जिदों में नमाज अदा की। संक्रमण के कारण ज्यादातर लोगों ने घरों पर ही नमाज का फर्ज पूरा किया। इबादत और तिलावत का जोर रहा। शुक्रवार को रमजान माह का पहला जुमा था। आमतौर पर रमजान में मस्जिदों में नमाजियों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन मस्जिदें सूनी रहीं। जिन मस्जिदों में जुमा की सामूहिक नमाज अदा की जाती है वहा मात्र इमाम, मोअज्जिन और मुतावल्ली आदि गिने चुने लोगों ने नमाज में शिरकत की। रोजेदारों और अन्य मुस्लिमों ने ज्यादातर घरों पर ही नमाज अदा की। नमाज के बाद कोरोना से निजात और मुल्क की सलामती के लिए खासतौर से दुआएं हुई। इसके अलावा जमानियां, दिलदारनगर, सेवराई, भदौरा, गहमर, करहिया, रेवतीपुर, नगसर, सुहवल, मुहम्मदाबाद, भांवरकोल, दुल्लहपुर, जखनियां, सादात, सैदपुर, औड़िहार, करंडा, देवकली, नंदगंज, जंगीपुर, बिरनो, मरदह, कासिमाबाद में भी रोजेदारों ने नमाज अता की।
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