सज्जनों की चुप्पी से हो रही समाज को क्षति : पूर्व कुलपति
सादात, हिन्दुस्तान संवाद। बीएचयू के पूर्व कुलपति एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा के
सादात, हिन्दुस्तान संवाद। बीएचयू के पूर्व कुलपति एवं उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत बना रहे, इस बात की चिंता करते हुए हम सबको अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। आज समाज को दुष्टों की दुष्टता से कम, सज्जन लोगों की चुप्पी अर्थात निष्क्रियता से ज्यादा क्षति हुई है। वह सिद्धपीठ हथियाराम के 26वें पीठाधिपति एवं जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति के 28वें चातुर्मास के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कहा कि परिपक्व न होने के कारण युवा वर्ग गलत राह पर अग्रसर हो जाता है, जिन्हें सत्य और संस्कार का मार्ग दिखाने की जिम्मेदारी अभिवावकों और बड़े बुजुर्गों की है। कहा कि कर्तव्यों का बोध हो तो अधिकार की चिंता करने की जरूरत नहीं। कर्तव्य बोध पर आधारित समाज खड़ा करना होगा। जब कोई पुरुष दुविधा में पड़ता है तो महिला ही उसे दुविधा से निकालती है। पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति ने चातुर्मास अनुष्ठान की महत्ता और सनातन संस्कृति को दृष्टिगत रखते हुए धर्म संस्कृति से जुड़ने का आह्वान किया। चातुर्मास संयम को साधने का संदेश देता है। कहा कि सभी धर्मों से बढ़कर मानवता का धर्म है, जिसका पालन करें। कहा कि समय के साथ चलना सर्वोत्तम है। संत कभी मरता नहीं है, संत तो ब्रह्मलीन होता है। जरूरत पड़ने पर मैं शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र लेकर सीमा पर जाने को भी तैयार हूं। यह सिद्धपीठ सिद्ध संतों की तपस्थली है। माता के दरबार में सच्चे मन से सर झुकाने के बाद कहीं और सर झुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कार्यक्रम में आचार्य शंभूनाथ पाठक, डा. मंगला सिंह, सोमनाथ सिंह, देवरहा बाबा बिरनो, रजनीश राय, स्वामी सत्यानंद यति, आचार्य पंडित मनीष पांडेय, वरुण देव सिह, प्रवेश पटेल, डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी, संतोष यादव, डा. अमिता दूबे, मंजू सिंह, सविता सिंह, रमेश सिंह पप्पू, रमेश यादव अरविंद कुमार सहित तमाम गणमान्यजन रहे। अंत में पुण्य लाभ की कामना संग लोगों ने भंडारा से महाप्रसाद ग्रहण किया।
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