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सरस काव्य गोष्ठी में कवियों ने रचनाओं से किया मंत्रमुग्ध

गाज़ीपुर में साहित्य चेतना समाज द्वारा 'चेतना-प्रवाह' कार्यक्रम के तहत सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं, जिसमें हास्य, व्यंग्य और शृंगारिक गीत शामिल...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरThu, 21 Nov 2024 02:40 PM
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गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज की ओर से 'चेतना-प्रवाह' कार्यक्रम के तहत नगर के चन्दन नगर कॉलोनी-स्थित, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामबदन राय के आवास पर सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ डॉ.अक्षय पाण्डेय की वाणी-वंदना से हुआ। उसके बाद साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी 'अमर' ने चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के मूल उद्देश्य पर विशद प्रकाश डाला। कवि हरिशंकर पाण्डेय ने अपना भोजपुरी गीत अवते पतोहिया चली गइली विदेशवा/बूढ़ा-बूढ़ी झनखत बाड़ें बइठि के दुअरिया राम/एगो सम इया रहे घरवा भरल रहे/हर घर खाली अब त नाहीं तकवइया राम प्रस्तुत कर अतीव प्रशंसित रहे। वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार विजय कुमार मधुरेश ने नागिनों ने सपेरों से दोस्ती कर ली/रहजनों ने रहबरों से दोस्ती कर ली/कैसे काम जनता का होगा दफ़्तरों में/अब दलालों ने अफसरों से दोस्ती कर ली सुनाकर ख़ूब वाहवाही लूटी। ओज के कवि दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी कविता धर्म को चुनौती देना आसान नहीं/धर्म-कर्म के नाम पर लड़ाना खिलवाड़ नहीं/सियासत में भागीदारी करने वालों/भारत के धर्मग्रंथों को चुनौती देकर/सबको मूर्ख बनाना आसान नहीं, सुनाकर ख़ूब तालियां अर्जित की। युवा नवगीतकार डॉ. अक्षय पाण्डेय ने परिवार में वृद्धों की स्थिति को दर्शाता अपना 'अप्रासंगिक होने लगे पिता' शीर्षक नवगीत आंख बचाकर आना-जाना/रिश्तों का कतराना/बूढ़ी ऑंखें देख रहीं हैं /बदला हुआ ज़माना/घर में होकर भी घर में ही

खोने लगे पिता/धीरे-धीरे अप्रासंगिक होने लगे पिता, सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए ताली बजाने के लिए विवश कर दिया। नगर के ख्यात ग़ज़लगो कुमार नागेश ने अपनी ग़ज़ल है कहां मंज़िल हमारी/दिल परीशां आज़ है/रास्ते भी गुम हुए हैं/दिल परीशां आज़ है सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां अर्जित की। नगर के वरिष्ठ व्यंग्य-कवि अमरनाथ तिवारी अमर ने अपनी व्यंग्य-कविताऍं सुनाकर श्रोताओं को आह्लादित कर दिया। वरिष्ठ कथाकार-कवि डॉ.रामबदन राय ने अपना शृंगारिक गीत "प्यार घट सकता है/प्यार बढ़ सकता है/ किसी मुकाम पर जाकर/ये ठहर सकता है। प्रस्तुत कर श्रोताओं की अकूत तालियां अर्जित की। इसी क्रम में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी की सांगीतिक अनुगीत की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।अन्त में अध्यक्षीय उद्बोधन में डा.रामबदन सिंह ने साहित्य चेतना समाज के द्वारा किए गए कार्यों की भूरिश: प्रशंसा की। इस सरस काव्यगोष्ठी में प्रमुख रूप से जयप्रकाश दूबे, डॉ. अजय राय, सतीश राय, राघवेन्द्र ओझा, अर्चना राय, प्रीति राय आदि उपस्थित रहे। अन्त में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। अध्यक्षता बापू इंटर कॉलेज सादात के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. रामबदन सिंह व संचालन डॉ. अक्षय पाण्डेय ने किया।

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