गोशालाएं बनीं शोपीस, बाजार में घूम रहे पशु
गोशालाएं बनीं शोपीस, बाजार में घूम रहे पशु
निराश्रित गोवंश को लेकर प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार आदेश जारी कर रहे हैं। इसके बाद भी विभाग की ओर से निराश्रित गोवंशों को गोशाला में नहीं पहुंचाया जा रहा है। जिससे किसानों के साथ साथ आम शहरी व्यक्ति के लिए यह जानवर परेशानी का सबब बने हुए हैं। गोशालाओं में रहने की जगह यह गोवंश बाजारों में घूम रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने गोवंश के बचाव के लिए तमाम उपाय किए गए हैं। जिले में एक बड़ा गोशाला बनकर चालू हो गया है, जिसमें लगभग पंद्रह सौ निराश्रित गोवंश रखे गए है। वहीं अस्थाई गोआश्रय केंद्र भी बनाए गए थे, जिसमें से कई अस्थाई गोआश्रय केंद्रों पर एक भी निराश्रित पशु नहीं रखे गए है। वहीं दो बड़ी गोशालाओं का निर्माण चल रहा है। ज्यादातर ग्राम पंचायतों में गोशाला का संचालन हो रहा है। करिमुद्दीनपुर में एक बड़ी कान्हा गोशाला का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग 12 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं। इस पर भारी-भरकम बजट शासन की ओर से खर्च किया जा रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 30 अस्थाई निराश्रित पशु आश्रय केंद्र बनाए गए है। इसमें लगभग 1550 निराश्रित गोवंश मौजूद है। वहीं लाखों खर्च कर बने कई अस्थाई निराश्रित गो आश्रय केंद्र बंद पड़े है। निराश्रित पशुआश्रय केंद्र होने के बावजूद नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश घूम रहे हैं। इससे लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है। यह गोवंश भोजन की तलाश में पूरे दिन बाजार में घूमते हैं। जो भी व्यक्ति थैला, बैग या पॉलीथिन लिए होता है उस पर झपट्टा मारते हैं। कई बार सींग से हमलावर हो जाते हैं। पिछले दिनों नगर के स्टेशन रोड़ पर एक राहगीर को सांड़ ने जख्मी कर दिया था। जिला मुख्यचिकित्साधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बाजार में घूम रहे सांड़ों को लगातार गोशाला में भेजा जाता है लेकिन आसपास के गांव से यह आवारा जानवर आ जाते हैं। इसके कारण लोगों को परेशानी होती है। वहीं बंद पड़े अस्थाई निराश्रित केंद्रों को भी शुरू कराया जाएगा। पशुओं के रहने के लिए टीन शेड सहित पानी की व्यवस्था होने के बाद शुरू होगा।
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