इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 का विरोध जरूरी

- कर्मचारियों व अभियंताओं ने कार्य बहिष्कार को सफल बनाने की बनायी रणनीति

हिन्दुस्तान टीम गाजीपुरFri, 4 Jan 2019 10:18 PM
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विधुत विभाग के कर्मचारियों ने शुक्रवार को संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर स्थानीय उपकेंद्र परिसर में बैठक की। इसमें आठ व नौ जनवरी को इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 के विरोध में प्रदेश भर में कर्मचारियों और अभियंताओं ने कार्य बहिष्कार को सफल बनाने की रणनीति बनायी। संघर्ष समिति के जिला संयोजक निर्भय नारायण सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 में विधुत वितरण व आपूर्ति अलग-अलग किये जाने का प्राविधान है। इससे विधुत आपूर्ति का काम निजी घरानों को सौंपा जा सके। बिजली पारेषण व वितरण का नेटवर्क अरबों रुपए खर्च कर सरकार बनायेगी। इस नेटवर्क के मेंटिनेंस पर करोड़ों रुपए प्रति माह सरकार खर्च करेगी और निजी कंपनी पैसा लगाकर मुनाफा का काम करेगी। इसलिए इसको संसद में पारित होने से रोकना होगा। सिंह ने रोष जताते हुए। कहा कि विधुत कर्मियों को जहां नुकसान उठाना पड़ेगा। वही उपभोक्ताओं को भी महंगी दर पर बिजली 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिलनी तय है। इसलिए विधुत कर्मियों के साथ उपभोक्ताओं को भी इसका विरोध करना चाहिए। कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि समान कार्य पर समान वेतन संविदा कर्मियों को मिलना चाहिए। साथ ही निगमों के एकीकरण कर राज्य विधुत परिषद बनाया जाना चाहिए। अधिशासी अभियंता महेंद्र मिश्र ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 का विरोध करना आवश्यक है। कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली और संविदा कर्मियों को नियमित किया जाना होगा। इस दौरान विजय शंकर राय. जय प्रकाश नारायन, राकेश कुमार सिंह, राकेश चौधरी, अजय विश्वकर्मा, अशोक, जितेंद्र सिंह, इंतजार अहमद, जीवन वर्मा, विनय तिवारी, रामप्रवेश, वीके राव, मदन यादव, धनंजय बिंद, अरविंद यादव, सूर्यप्रकाश आदि मौजूद रहे।

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