प्रज्ञा पुराण कथा व गायत्री महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति
लोगों को दिलाया गया एक बुराई त्यागने का संकल्प मुसाफिरखाना। संवाददाता कस्बे में बीते 13
लोगों को दिलाया गया एक बुराई त्यागने का संकल्प मुसाफिरखाना। संवाददाता
कस्बे में बीते 13 नवम्बर से शुरू हुई प्रज्ञा पुराण कथा एवं गायत्री महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति व दीपोत्सव के साथ हुआ। पूर्णाहुति में दक्षिणा के रूप में लोगों को अपनी एक बुराई त्यागने का संकल्प दिलाया गया। अंतिम दिन मौजूद श्रद्धालुओं ने युग निर्माण का संकल्प लिया।
13 नवम्बर से प्रारंभ हुई प्रज्ञा पुराण कथा एवं गायत्री महायज्ञ के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। अंतिम दिन बुधवार को सुबह 8 बजे से ही शुरू हुआ हवन का कार्यक्रम दोपहर बाद तक चलता रहा। अंतिम दिन की कथा में आचार्य कैलाशनाथ तिवारी ने मीराबाई का जिक्र करते हुए कहा कि जब सच्चे और निर्मल मन से आस्था की जाती है तो भगवान को भी अपने भक्त के पास आना पड़ता है। श्रद्धा-भक्ति सच्ची होने पर विष भी अमृत बन जाता है।
उन्होंने मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण की परिकल्पना को साकार करने के लिए लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा दी। कथा समापन के अंतिम दिन घर-घर दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। पूर्णाहुति में आचार्य ने दक्षिणा के रूप में लोगों को अपनी एक बुराई त्यागने का संकल्प दिलाया। इस मौके पर सीओ अतुल कुमार सिंह, गायत्री प्रज्ञापीठ के व्यवस्थापक विजय बहादुर सिंह, महक यादव, आत्मानंद द्विवेदी, वेद प्रकाश श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद रहे।
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