गौरीगंज रामलीला मंचन की राह में उलझने ही उलझने
गौरीगंज। संवाददाता गौरीगंज में रामलीला मंचन की राह में एक के बाद एक उलझने
गौरीगंज। संवाददाता गौरीगंज में रामलीला मंचन की राह में एक के बाद एक उलझने आ रही हैं। एसडीएम के निर्देश पर बनाई गई जांच टीम ने अपनी आख्या प्रशासन को सौंप दी है और प्रशासन परंपरागत तरीके से होने वाले आयोजन पर सहमत भी है। दूसरी ओर रामलीला समिति के लोग बिना जमीन मिले मंचन और पुतला दहन के लिए फिलहाल तैयार नहीं नजर आ रहे हैं।
115 वर्ष पुरानी गौरीगंज की रामलीला का मंचन और पुतला दहन इस वर्ष खत्म होने की कगार पर है। रामलीला मंचन समिति द्वारा दिए गए ज्ञापन के क्रम में एक दिन पहले राजस्व टीम ने कथित रामलीला मैदान की जांच पड़ताल की थी। टीम ने जांच में पाया है कि गाटा संख्या 671 व 672 जिसे रामलीला मैदान के नाम से जाना जाता है और जहां पर रावण दहन होता है वह वर्तमान में काश्तकारों के नाम पर दर्ज है। हालांकि पुराने अभिलेखों में यह जमीन महाराजा रणंजय सिंह के नाम दर्ज है। टीम ने यह भी पाया है कि जमीन के संबंध में सुल्तानपुर एडीजे के यहां एक वाद भी चल रहा है। जिसमें 29 अक्टूबर 1982 को आदेश हुआ है। टीम के अनुसार किसी भी अभिलेख में लिखित रूप से भूमि रावण पुतला दहन या रामलीला मैदान के नाम से दर्ज नहीं है। दूसरी और रामलीला मंचन से जुड़े लोगों का यह कहना है कि जब पुराने अभिलेखों में जमीन राजा रणंजय सिंह के नाम दर्ज है और उन्होंने रामलीला के नाम ही यह जमीन छोड़ी थी तो किन परिस्थितियों में यह जमीन काश्तकारों के नाम चली गई। इसकी जांच पड़ताल होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस संबंध में एसडीएम दिग्विजय सिंह ने बताया कि रामलीला मैदान के नाम से जमीन होने का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। ऐसे में परंपरागत रूप से जहां मंचन और जहां पुतला दहन होता है, वहां इस वर्ष भी प्रशासन व्यवस्था देने को तैयार है। बाकी का काम मंचन से जुड़े लोगों को करना है। दूसरी ओर रामलीला मंचन समिति से जुड़े ओपी सिंह का कहना है कि यदि रामलीला के नाम कोई जमीन ही नहीं है तो हम लोग मंचन और पुतला दहन क्यों करेंगे? उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से एक कागज मिला है जिस पर बाजार के सभी जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक की जाएगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि राजा रणंजय सिंह के नाम दर्ज भूमि किन परिस्थितियों में काश्तकारों के नाम गई प्रशासन को इसका भी जवाब देना चाहिए।
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