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बोले प्रयागराज : लाख जतन के बाद भी टैंकर से ही हो रही पानी की आपूर्ति

Gangapar News - कोरांव में पेयजल संकट के कारण 278 राजस्व गांवों के लोग परेशान हैं। अप्रैल से जल स्तर गिरने से पानी की कमी होती है। जिला प्रशासन को 20 से अधिक टैंकर लगाकर पानी की आपूर्ति करनी पड़ती है, लेकिन फिर भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारSun, 6 April 2025 03:44 PM
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बोले प्रयागराज : लाख जतन के बाद भी टैंकर से ही हो रही पानी की आपूर्ति

कोरांव में पेयजल संकट तहसील के 278 राजस्व गांवों में से उपरौध और पाल के महुली, बड़ोखर न्याय पंचायतों सहित पसना न्याय पंचायत के पसना, कपुरी और बसहरा गांवों के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति वर्ष अप्रैल शुरू होते ही जल स्तर नीचे गिरने के कारण पेयजल के लिए हाहाकार मचा जाता है। जिससे निपटने के लिए जिला प्रशासन को लगभग डेढ दर्जन टैंकर लगाकर पानी पिलाने के लिए हजारों खर्च करने के बाद भी जद्दोजहद करना पड़ता है, फिर भी मांग के अनुसार पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। इससे अछूता विधायक का गांव धौखर भी नहीं रहता। पहाड़ी पर गांव होने के कारण उनके गांव के बाशिंदे पेयजल के लिए बिलबिलाते रहते हैं। इस गांव की हालत इतनी खराब हो जाती है कि कुंए और हैंडपंप भी जवाब दे जाते हैं। कोरांव तहसील में 2673 हैंडपंप हैं, तथा 1032 कुंए बनाए गए हैं। इसके अलावा कुछ लोगों ने छोटे हैंडपंप भी लगाये हैं, जिनकी भी संख्या दर्जनों में है। ब्लॉकों से जुटाये गये आकड़ों के अनुसार इस समय 236 इन्डिया मार्का हैण्डपम्प तकनीकी खामियों के कारण पानी देना बंद कर चुके हैं। जबकि 390 कुओं में झाड़-झंखाड़ उगे हैं, अथवा उनका उपयोग करना ही लोगों ने छोड़ दिया है। पिछले दो वर्षों में पहाड़ी इलाकों की सिंचाई और पेयजल के लिए लघु सिंचाई विभाग की ओर से ब्लास्टिक कूप बनवाए गए, जिनमें से अधिकांश का पानी मार्च के बाद सूख जाता है।

20 से अधिक टैंकर लगाकर जिला प्रशासन को करनी पड़ती है पानी की आपूर्ति

2673 इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हैं कोरांव क्षेत्र में जो अप्रैल से ही पानी छोड़ देते हैं

236 इंडिया मार्का हैंडपंप तकनीकी खामियों के कारण पानी देना बंद कर चुके हैं

1032 कुंए हैं कोरांव क्षेत्र में जिसमें से सैकड़ों के पानी का अब नहीं होता उपयोग

तहसील के बड़ोखर, हड़िया, मानपुर, पारा, बेलहट, जमुहरा, लतीफपुर, बेढीपटटी, पूरा रूचई, मंगला पुरी, बैदवार मुसहर बस्ती, पथरताल नटवा बस्ती, राजपुर, बसहरा, पसना-पहाड़ी बस्ती, कपुरी मौर्य बस्ती के अलावा खुद तहसील परिसर भी पेयजल से प्रभावित रहते हैं। तहसील में तो वकील से लेकर अधिकारी तक घर से खुद पानी लेकर आते हैं। उपरोक्त गांवों के कुछ परिवारों को तो पानी की तलाश में एक से डेढ़ किलोमीटर तक दूरी भी तय करनी पड़ती है। इस समस्या के पुख्ता इंतजाम के लिए जहां एक तरफ सरकार ने पानी संरक्षण के लिए लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत कूप निर्माण नदियों में चेकडैम सहित अमृत सरोवरों पर विशेष ध्यान दिया है। परंतु वे भी जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है वह भी सूखते जाते हैं। पिछले दो दशक पूर्व कई गांवों में कुछ अपनी टंकियां बनाई गई थी वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। बड़ोखर, महुली, भगेसर, रतेवरा साजी भलुहा, बेलवनियां, बेलहट पियरी कूदर मझिगवां सहित अन्य गांवों में जलजीवन मिशन के तहत पानी टंकियों का निर्माण और पाइप लाइन बिछाई तो जा रही है परंतु आधे गांवों को इस सुविधा से वंचित कर दिया जा रहा है। पैतिहा गांव में दो वर्ष से टंकी का निर्माण कार्यदाई संस्था पर ही छोड़ दिया गया है। इसी तरह अधिकतर अमृत सरोवरों में पानी का दरकार करोड़ों खर्च के बाद भी बदहाल हैं। जल संचयन के लिए सरकार की ओर से चयनित 164 राजस्व ग्रामों में से 104 गावों में अमृत सरोवर बनना था जिन पर करीब नौ करोड़ 71 लाख खर्च किये जाने के बावजूद बदहाल हैं। अधिकतर जलाशय सूखे पड़े हैं। शासन को अधिकतर अमृत सरोवरों के सौंदर्यीकरण की रिपोर्ट भेज दी गई है पानी के अभाव में पेड़ पौधे सूख गए हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते कई गांवों में गर्मी के दिन में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। छापर गांव के प्रधान राजेश तिवारी ने बताया कि उनके गांव के बगल के गावों संसारपुर ,हरदौन,गडिया मुरलीपुर, बंशीपुर, देवघाट, बैठकवा, आदि गांवों में बने किसी भी अमृत सरोवर में एक भी बूंद पानी नहीं है इनमें अब धूल उड़ रही है।

टैंकर की मांग के लिए भेजा जाएगा पत्र

तहसील के बेढीपटटी, पूरा रूचई, बभनपटटी, जमुहरा, बड़ोखर, बैदवार अतरी-सिकीमी, गडरी कोल बस्ती, संसारपुर, लतीफपुर, मंगलापुरी सहित विधायक राजमणि कोल के गांव धौखर के लिए अप्रैल, मई और बरसात शुरू होने तक के लिए 12 टैंकर की मांग का प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह जानकारी रजिस्ट्रार कानूनगो कोरांव ने दी है।

पेयजल की समस्या का स्थाई समाधान

तहसील के एक दर्जन पेयजल प्रभावित गांवों के स्थाई समाधान के रूप में एक बार फिर देवघाट इंटकवेल योजना को मूर्त रूप देने की मांग उठ रही है। क्योंकि लगभग 35 वर्ष पहले इसी योजना से कोरांव और सिरावल के आसपास के छह दर्जन गावों में पाइप लाइन बिछाकर पानी की आपूर्ति की जाती थी। अब यह पाइपें चोर-उचक्के उखाड़ ले गये और मशीनें भी जीर्ण-शीर्ण हो गई। इसके बाद जिले के जलनिगम के अधिकारियों द्वारा मरम्मत के लिए इन्हें धनराशि भी देना बन्द कर दिया गया। कहा गया कि चल रहे कनेक्शन से मिलने वाले पैसे से मरम्मत करायी जाए। प्रश्न यह उठता है कि कनेक्शन धारियों को जब महीने में दो-चार दिन भी पानी नहीं मिल रहा तो पानी का बिल कौन दे। इसके अलावा फिर कुओं जैसी पुरानी व्यवस्था पर लौटने से ही पेयजल की स्थाई समस्या से समाधान मिल सकता है।

बोले जिम्मेदार

भाजपा सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत गांव-गांव बिछाई जा रही पाइप लाइन और टंकिया बनाकर पेयजल किल्लत से निजात दिलाई जाएगी। इस कार्य में सम्बन्धित एजेन्सी से तेजी लाने को कहा गया है। कोरांव क्षेत्र की पेयजल समस्या को ध्यान में रखा गया है और इसके स्थायी समाधान की दिशा में ही यह कदम उठाया गया है, जिसका लाभ आगामी वर्षों में कोरांव के लोगों को मिलना तय है।

-राजमणि कोल, विधायक कोरांव

पिछले दिनों प्रदेश सरकार की ओर से मिले एक करोड आठ लाख रुपये से टाउन की समस्या दूर करने का प्रयास किया जाएगा। और धनराशि के लिए विधायक के सहयोग से प्रयास किया जा रहा है। पेयजल की किल्लत को दूर करने का पूरा प्रयास होगा।

-ओमप्रकाश केसरी, चेयरमैन, नगर पंचायत कोरांव

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हमारी भी सुनें

हमारी भी सुनें

क्षेत्र के लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए परेशान है। सरकार को पानी की समस्या को लेकर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।

-आशीष मिश्रा, समाजसेवी, लेड़ियारी

क्षेत्र में पीने के पानी की घोर समस्या है। इसके लिए गंभीरता से प्रयास होना चाहिए ताकि समस्या का समाधान हो सके और ग्रामीणों को दर दर की ठोकर न खानी पड़े।

-पंडित विश्वकर्मा

अभी गर्मी की शुरुआत में यह हाल है आगे और भी परेशानी होना तय है, तहसील प्रशासन को इस और ध्यान देना बहुत जरूरी है वरना ग्रामीणों को बहुत परेशानी होगी।

-अनुज कुमार

ग्राम पंचायत लतीफपुर जमुहरा में पानी की दिक्कत अभी से शुरू होने लगी है गांव के अधिकतर कुंए सूख चुके हैं, गांव में लगे हैंडपंप से पानी कम आने लगा है, इससे लोगों को समस्या हो रही है।

-उत्तम द्विवेदी, भाजपा मंडल उपाध्यक्ष

ग्राम पंचायत बेलहट के मंगलापुरी और बभनपट्टी के रोचई का पुरा में पानी की घोर समस्या उत्पन्न है। पिछले वर्षों से टैंकर का पैसा न मिलने के कारण ग्राम पंचायत में टैंकर भी नहीं लगे हैं जिससे पानी के लिए काफी दिक्कतें होती हैं।

-संजय सिंह पटेल, प्रधान प्रतिनिधि बेलहट

उपरौध और पाठा के क्षेत्र पहाड़ी होने के कारण हर वर्ष पानी की समस्या होती है इस पर जिला स्तर से एवं प्रदेश सरकार की तरफ से भी कई अहम योजनाएं आती हैं और काम भी होता है परंतु हर वर्ष जलस्तर नीचे जाने के कारण यह समस्या बढ जाती है।

-प्रकाश द्विवेदी

नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं शासन प्रशासन के लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं लाखों रुपए पानी के नाम पर बहा दिया जाता है परंतु कोई भी सुविधा नगर और ग्रामीण वासियों को नहीं मिल पा रही है।

-अनूप केशरी, कोरांव

सरकार की ओर से जलापूर्ति के लिए टैंकरों की व्यवस्था करने के दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है, इन टैंकरों से ग्राम वासियों की प्यास नहीं बुझ सकती। जलसंचय के लिए बेढ़ीपट्टी में अमृत सरोवर के नाले से जोड़ दिया जाए तो अति उत्तम होगा।

-देवीशंकर पांडेय, समाजसेवी बेढ़ीपट्टी

फोटो कैप्शन

1-जमुहरा में पानी भरने के लिए खड़े लोग

2-खराब पड़े हैंडपंप

3-सूखा कुआं

4-सूखा तालाब

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