सैदाबाद में 5277 मनरेगा मजदूरों का एक करोड़ 28 लाख बकाया
Gangapar News - सैदाबाद। अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए कड़ी धूप में मेहनतकश मजदूर मजदूरी करता है।

अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए कड़ी धूप में मेहनतकश मजदूर मजदूरी करता है। महीनों से मजदूरों की मजदूरी नहीं मिली। अब उन्हें कौन बताए कि इसी मजदूरी से उसके घर का खर्च, स्कूल फीस व दवाओ का भी जुगाड़ करना है। मजदूर ग्राम प्रधान रोजगार सेवक से मजदूरी की शिकायत करता है। ग्राम प्रधान भी क्या करे जब शासन ने पैसे ही नहीं भेज। उल्टे संबंधित अधिकारी विकास कार्यों की पूरा करने का दबाव बनाते है। ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक भी टाल मटोल करते है जिससे क्षेत्र का विकास कार्य रुका पड़ा है सैदाबाद में ऑपरेटर, एपीओ, रोजगार सेवक सहित 61 मनरेगाकर्मी व 5277 मनरेगा मजदूर है। एक करोड़ 28 लाख रुपये मजदूरो का बकाया है। मजदूरी ना मिलने से मजदूर निराश है। सैदाबाद ब्लॉक मुख्यालय पर तैनात कर्मियों ने बताया कि बीते चार माह से वेतन नहीं आया है। वेतन तो नहीं मिला उल्टे मजदूर भी सुनाकर चले जाते है।अधिकारी गांवों में काम करवाने का दबाव बनाते है। मजदूरों को वेतन नहीं मिलने से वह बुलाने पर भी काम पर नहीं आते है। कई मजदूरों ने बताया कि मनरेगा के तहत काम क्यों करे जब समय पर मजदूरी ही नहीं मिलती है। परदेश जाकर मजदूरी करेगे वहां कम से कम नगदी तो मिल जाती है।कर्मियों ने बताया कि कि दीपावली और छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर भी उन्हें मानदेय न मिल पाने से उत्सव का माहौल फीका रहा। कर्मचारियों का कहना है कि मानदेय न मिलने के कारण उन्हें बच्चों की फीस, माता-पिता की दवा और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।आर्थिक तंगी के कारण मनरेगा कर्मचारी भूखमरी की स्थिति में आ गए हैं। कार्यालय आने-जाने में भी उन्हें कठिनाई हो रही है, जबकि कार्य को लेकर शासन का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो होली भी फीकी रहेगी।विभागीय अधिकारियों से समस्या के बारे में बात करने पर वह शासन से बजट न आने की मजबूरी बताते हुए थोड़ा इंतजार करने की सलाह देते हैं। मामले में डीसी मनरेगा गुलाब चंद्र व खंड विकास अधिकारी सैदाबाद ने बताया कि शासन से पैसा नहीं आया है। शासन से पैसे आने पर मजदूरों का भुगतान किया जाएगा।
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