बोले प्रयागराज: जिनसे रहती है ग्रामीणों को आस, वो हैं शासन से निराश
Gangapar News - पंचायत सहायक बेहाल आज के दौर में ऑनलाइन व्यवस्थाएं बढ़ गई हैं या यूं कहें
आज के दौर में ऑनलाइन व्यवस्थाएं बढ़ गई हैं या यूं कहें डिजिटाइजेशन का दौर है। इससे ग्रामीण और पंचायतें भी अछूती नहीं हैं। इन्ही व्यवस्थाओं में पंचायतों और ग्रामीणों के सहयोगी के रूप में उभर कर आए हैं पंचायत सहायक, जो ग्राम सचिवालयों में बैठ ऑनलाइन कार्य में संलग्न रहते हैं और सरकारी योजनाओं को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। पंचायत सहायक भले ही ग्रामीणों की आस हों पर स्वयं वे सरकार और अपने अल्प मानदेय से निराश हैं। इनका मानदेय मनरेगा मजदूरों से भी कम हैं जिसको पाने के लिए कई कई महीने इन्हें इंतजार भी करना पड़ता है। यही वजह है कि कहीं ज्यादा पैसा मिला तो यह तुरंत अपना पद भी छोड़ देते हैं। कहने को इन्हें रोजगार तो मिला लेकिन गृहस्थी की गाड़ी को इतने कम मानदेय में खींच पाना इनके लिए बेहद मुश्किल होता है। नियुक्ति के बाद से अभी तक शासन ने न तो इनके मानदेय में कोई बढ़ोतरी की और न ही कोई सुविधाएं दी।
फूलपुर। उत्तर प्रदेश के लगभग सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सचिवालयों को निर्माण हो चुका हैं। जहां से तत्संबंधी ग्रामीण अपनी समस्याओं जैसे जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, खतौनी, तमाम सरकारी योजनाओं के लाभार्थी होने पर आवेदन करने आदि के कार्य होते हैं। इन सभी प्रशासनिक व्यवस्थाओं को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक दिसंबर 2021 को प्रदेश के 56542 ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक/एकाउंटेंट कम डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति संविदा के आधार पर की थी। ये सभी कंप्यूटर संचालन में दक्ष हैं। इनका मानदेय छह हजार रुपये निर्धारित हुआ। जो देखा जाय तो मनरेगा श्रमिक के प्रतिदिन के मेहनताने 237 रुपये से औसत रूप में कम पड़ेगा। मनरेगा श्रमिक जहां अकुशल की श्रेणी के कामगार हैं वहीं पंचायत सहायक तकनीकी रूप से कुशल हैं। इतने अल्प मानदेय होने के बावजूद इनसे समय समय पर राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, निर्वाचन कार्य, फार्मर रजिस्ट्री, आयुष्यमान कार्ड, ई केवाईसी, फैमिली आईडी के कार्य में भी सहयोग लिया जाता हैं। इनकी नियुक्ति के तीन वर्ष पूर्ण हो चुके हैं पर लगातार मांगों के बाद भी मानदेय में रत्ती भर बढ़ोतरी नहीं हो सकी हैं। उल्टा मानदेय प्रतिमाह के बजाय कई कई महीने बाद मिलता है। ऐसे में इन पूर्णकालिक कार्मिकों का भरण पोषण कैसे हो, यह विचारणीय विषय हैं।
पंचायत सहायकों की नियुक्ति को तीन साल से अधिक होने को है लेकिन सरकार ने मानदेय बढ़ाने की दिशा में कोई पहल नहीं की। कई बार इसकी मांग भी की गई लेकिन अभी तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आरोप है कि काम पूर्णकालिक की तरह लिया जा रहा है लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं हैं। इनकी मांग है कि सरकार को मानवीय आधार पर अवकाश, मानदेय एवं अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी करनी चाहिए।
समस्याएं
- 6000 हजार का अल्प मानदेय।
- मानदेय प्रायः विलंबित रहता है।
- महिला पंचायत सहायक विवाह के बाद भी मायके में ही नियुक्त हैं।
- ग्राम निधि से मानदेय भुगतान।
सुझाव
- मानदेय 26910 हो।
- मानदेय का प्रति माह समय से भुगतान हो।
- महिला पंचायत सहायकों के स्थानांतरण पर विचार।
- मानदेय राज्यपोषित हो।
1540 पंचायत सहायकों की नियुक्ति प्रयागराज में हुई थी।
67 ग्राम पंचायतों में फूलपुर में हुई थी पंचायत सहायकों की नियुक्ति।
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बोले पंचायत सहायक
महीने में एक भी आकस्मिक अवकाश की व्यवस्था हमारे लिए नहीं हैं। कोई आवश्यक गृहकार्य पड़ जाय तो कैसे मैनेज हो इसका ध्यान भी शासन को रखना चाहिए।
-रजनीश कुमार
महिला पंचायत सहायकों को उनके ससुराल या उसके निकट की ग्राम पंचायतों में पदस्थापन की व्यवस्था होनी चाहिए। विवाह के बाद यह परेशानी आम है जिस पर किसी का ध्यान नहीं है।
-अमिता यादव
मां बनना हर नारी का नैसर्गिक अधिकार है। उसके क्रम में मातृत्व अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश की व्यवस्थाएं होनी चाहिए। इसके न होने से परेशानी होती है।
-साक्षी साहू
एक सामान्य व्यक्ति भी कभी बीमार हो सकता है। ऐसे में चिकित्सीय अवकाश की व्यवस्था न होना अमानवीय है। अवकाश की व्यवस्था होनी ही चाहिए।
-अंजना पाल
पंचायत सहायकों की सेवा नियमावली बननी चाहिए। ताकि उनकी बेहतरी के लिए सरकार कोई निर्णय ले। शासन को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
-शिव चंद्र
हमारा मानदेय कम से कम 26910 रुपये होना चाहिए। अभी जो मानदेय है वो बेहद कम है। इतने में गुजर बसर संभव नहीं है।
-देश दीपक सिंह पटेल
पंचायत सहायकों का कार्य लगभग ग्राम पंचायत अधिकारियों सा ही है। ऐसे में उक्त पदों की भर्तियों में पंचायत सहायकों को 50 फीसदी का आरक्षण दिया जाना चाहिए।
-सत्य नारायण
मानदेय हर माह, समय से मिलना चाहिए। कभी भी समय पर मानदेय नहीं मिलता। इस वजह से बहुत मुश्किल होती है। एक निर्धारित तिथि होनी चाहिए।
-दिव्यांशु गुप्ता
पंचायत सहायकों की बेहतरी और अन्य सुविधाओं को देने के लिए सरकार को सार्थक कदम उठाने चाहिए। तभी पंचायत सहायकों का भला हो पाएगा।
- मो.इरशाद
हमारी ड्यूटी 10-5 बजे तक ग्राम पंचायत में पूर्णकालिक की तरह है। ऐसे में माह में आकस्मिक अवकाश तो दिया ही जाना चाहिए और मानदेय भी बढ़ाना चाहिए।
-मो.आमिर
हम अपनी नियुक्ति के समय गांव के सर्वोच्च अंकधारी यानी मेरिट होल्डर थे। ऐसे में हमारे विकास पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
-शैलेश भारतीया
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