लोहारी का पशु चिकित्सालय हो रहा खंडहर में तब्दील, पशुपालक परेशान
उरुवा, हिन्दुस्तान संवाद। लाखों की लागत से वर्ष 2010 में निर्मित राजकीय पशु चिकित्सालय निर्माण
लाखों की लागत से वर्ष 2010 में निर्मित राजकीय पशु चिकित्सालय निर्माण के दो वर्ष बाद ही गिरने लगा था। ग्राम प्रधान और गांव के पशुपालकों द्वारा प्रशासन और पशुपालन विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी लिखित पत्र के माध्यम से दी गई थी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। जिसके कारण उक्त पशु चिकित्सालय जर्जर एवं बदहाल हालत में है। उरुवा विकास खंड क्षेत्र के उपरौड़ा लोहारी गांव में लाखों की लागत से बना राजकीय पशु चिकित्सालय निर्माण के दो वर्ष बाद ही गिरने लगा जिसके कारण उक्त अस्पताल में कोई डॉक्टर तथा कर्मचारी नहीं जाना चाहता। पशु चिकित्सालय में पशुपालक एवं कर्मचारियों को आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं बना है। उक्त पशु चिकित्सालय के बरामदे की छत छूट कर लटकी पड़ी है। चिकित्सालय परिसर में पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पशु चिकित्सालय के चारों तरफ से बनी चारदीवारी टूटी हुई है। पशुचिकित्सालय के कमरों में लगे खिड़की दरवाजे तक सबूत नहीं बचे हैं। वहीं अस्पताल में रखे चिकित्सीय उपकरण बारिश की सीलन से जंग खा रहे हैं। अस्पताल के शौचालय की खिड़कियां और दरवाजे गायब हैं। पूरे अस्पताल प्रांगण में बड़ी बड़ी घास और झाड़ियां उगी हुई हैं जिसमें जहरीले जंतुओं का बसेरा बना हुआ है। अनेक पशुपालकों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर तथा कर्मचारियों की तैनाती की गई है लेकिन डॉक्टर सहित सभी कर्मचारी महीने में शायद ही एकाध बार आते हैं। सरकार अपनी जनोपयोगी योजना में लाखों रुपए खर्च करके चिकित्सालय का निर्माण हुआ परंतु विभागीय उदासीनता के कारण उक्त चिकित्सालय अपना वजूद होता जा रहा है। इस बाबत उक्त गांव के पूर्व प्रधान अनिल सिंह ने बताया कि गांव के पशुपालकों द्वारा उच्चाधिकारियों को अस्पताल के जर्जर और बदहाल होने की जानकारी कई बार दी गई है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। गांव के पशुपालकों ने बताया कि पशु चिकित्सालय दूसरे ग्राम पंचायत बगहा गांव की भूमि पर बनाया गया है जिसके कारण पशु अस्पताल पर आने जाने का मार्ग भी अभी तक नहीं बन पाया।
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