जंगल के बीच से निकला मांडा-बरौंधा मार्ग गड्ढायुक्त, आवागमन में परेशानी
पिछले साल माघ मेले में गड्ढामुक्त किया गया मांडा, बरौंधा मार्ग पूरी तरह पुन: गड्ढायुक्त हो गया है, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक साल पूर्व माघ मेले के दौरान...
पिछले साल माघ मेले में गड्ढामुक्त किया गया मांडा, बरौंधा मार्ग पूरी तरह पुन: गड्ढायुक्त हो गया है, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक साल पूर्व माघ मेले के दौरान मांडा, बरौंधा मार्ग दूरी 17 किलोमीटर गड्ढामुक्त किया गया था।
गड्ढामुक्त होने के एक महीने बाद से ही यह मार्ग जगह, जगह से गड्ढायुक्त होना शुरू हो गया। मांडाखास से लेकर दसवार तक लगभग आठ किलोमीटर पूरी तरह जंगली रास्ता है। इस बीच एक भी मकान नहीं है। जंगली रास्ता खराब होने के कारण लोगों को सांझ ढलते ही इस मार्ग से गुजरने में डर लगने लगता है। इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों से हजारों लोग हनुमना, मैहर, लालगंज, हलिया, ड्रमंडगंज, हाटा, कूदर, दसवार, धनावल आते जाते हैं। धनावल, सिरौठी, दोहथा, हाटा आदि विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों छात्र, छात्राएं और सैकड़ों अध्यापक भी इसी जर्जर मार्ग से यात्र करते हैं। प्रदेश सरकार के निर्देश पर हर मार्ग गड्ढामुक्त करने के अभियान पर यह मार्ग पानी फेर रहा है। तमाम छात्र, ग्राम प्रधानों एवं सामाजिक संगठनों ने विभागीय अधिकारियों एवं जिला प्रशासन से मांडा, बरौंधा मार्ग गड्ढामुक्त किये जाने की मांग की है, ताकि लोगों का आवागमन सुचारू रूप से जारी रह सके।
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