मांडा की किसी भी समिति में नहीं पहुंची डीएपी
मांडा। मांडा के आठ में से किसी भी समिति में डीएपी न होने से किसानों
मांडा के आठ में से किसी भी समिति में डीएपी न होने से किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कुछ प्राइवेट दुकानों पर ऊंचे दामों पर डीएपी बेचे जा रहे हैं। मांडा के मांडा खास, हाटा, मझगवां, कोसड़ाकला, महुआरीकला, महेवाकला, दिघिया, चकडीहा किसी भी साधन सहकारी समिति में डीएपी खाद शनिवार सायं तक नहीं पहुंची। खाद के लिए किसान समितियों के चक्कर काट रहे हैं। मांडा खास सहकारी समिति के सचिव ने बताया कि डीएपी के लिए चेक जमा कर दिये गये हैं और अधिकारियों से जब खाद के बारे में जानकारी की जाती है, तो हर बार यही जवाब मिलता है कि आगरा से खाद की ट्रक चल चुकी है। फिलहाल खाद न होने से मसूर, चना, आलू आदि की खेती करने वाले किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कुछ किसानों ने यह भी बताया कि मांडा, दिघिया, चिलबिला, हाटा आदि बाजारों में 17 सौ रूपये बोरी के ऊंचे मूल्य पर कुछ दुकानदार डीएपी बेच रहे हैं, लेकिन उन पर कोई रोकथाम नहीं है, जबकि यही डीएपी समितियों में 1360 रुपये में मिल जाती है। तमाम किसानों ने विभागीय अधिकारियों से मांडा की समितियों में डीएपी उपलब्ध कराने की मांग की है।
बोमापुर में किसनों को मिली डीएपी
करनाईपुर। बहरिया विकास खण्ड के सधन सहकारी समिति और भदरपुर ऊर्फ दीनापुर में किसानों को शनिवार को डीएपी खाद वितरित की गई। सचिव राजेंद्र यादव ने बताया कि चार सौ बोरी डीएपी खाद की उपलब्धता हुई थी। इनमें से जितना भी हो सका किसानों को वितरित कर दिया गया है और दोबारा खाद आने पर बचे हुए किसानों को डीएपी दी जाएगी। किसानों का आरोप था कि सचिव द्वारा कुछ लोगों को दो बोरी से ज्यादा डीएपी खाद बांटी जा रही है जबकि और किसानों को खाद रहते हुए कुछ भी नहीं दिया गया लेकिन सचिव का कहना है कि यह आरोप गलत है। सभी किसानों को आधार कार्ड के हिसाब से दो-दो बोरी खाद वितरित की गई है।
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