मांडा के सभी आठों समितियों पर आयी तीन तीन सौ बोरी डीएपी खत्म
मांडा क्षेत्र की आठ साधन सहकारी समितियों में डीएपी की कमी ने किसानों को परेशान कर दिया है। हाल ही में भेजी गई 300 बोरी डीएपी तुरंत समाप्त हो गई। किसानों को एपीएस और यूरिया का सामना करना पड़ रहा है,...
मांडा, हिन्दुस्तान संवाद। मांडा क्षेत्र के आठ साधन सहकारी समितियों में तीन तीन सौ बोरी डीएपी चार दिन पहले आई। समितियों द्वारा डीएपी के लिए तीन-तीन चेक भेजे जा चुके हैं, लेकिन जनपद से डीएपी की केवल एक खेप भेजी गई, जो आते ही खत्म हो गई। आलू की खेती के लिए डीएपी खाद की किसानों को सख्त आवश्यकता है।
मांडा खास साधन सहकारी समिति में शुक्रवार को बची डीएपी भी खत्म हो गयी और अब एपीएस और यूरिया खाद की उपलब्धता है। एनपीएस के साथ 600 रुपये दाम की नैनो तरल 500 एमयल तथा यूरिया के साथ नैनो यूरिया तरल 225 रुपये बोतल किसानों को दो बोरी खाद पर एक बोतल जबरन देने का जिले से फरमान है। किसानों का कहना है कि तरल की खेतों में बिल्कुल जरुरत नहीं है। समिति ने बीस रुपये का तरल का पाउच बनाकर किसानों को देना शुरू किया है, हालांकि इसे लेकर किसानों और समिति संचालकों में काफी किचकिच होती है। मांडा समिति से डीएपी के लिए तीन चेक जिले में भेजे गए हैं, लेकिन एक केवल एक ट्रक डीएपी सोमवार को तब मांडा आयी, जब 11 अक्टूबर को हिन्दुस्तान ने मांडा में डीएपी का अभाव,किसान परेशान खबर वरीयता से छपी। मांडा क्षेत्र में कुल आठ साधन सहकारी समितियों में तीन तीन सौ बोरी डीएपी भेजी गई। इसके पहले और अब डीएपी के स्थान पर एपीयस या यूरिया लेने के लिए किसानों को विवश किया जा रहा है। समिति संचालकों ने बताया कि आलू बोआई के वजह से इन दिनों डीएपी हरे की मांग अधिक है। यह भी पता चला कि हरी डीएपी का मूल्य 1350 रुपये बोरी है, लेकिन कुछ प्राइवेट दुकानदार डीएपी हरी खाद किसानों को 16 से 18 सौ रुपये बोरी के हिसाब से दे रहे हैं। किसानों का यह भी आरोप है कि डीएपी आने पर रातोंरात समितियों से गायब हो जाती है। फिलहाल डीएपी को लेकर किसानों की परेशानी अभी बरकरार है।
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