नहर में पानी न होने से किसान दुखी
Gangapar News - मांडा। उपरौध राजबहा की ज्यादातर नहरों व बेलन नहर में पानी न होने से किसानों
उपरौध राजबहा की ज्यादातर नहरों व बेलन नहर में पानी न होने से किसानों के रबी की फसल सिंचाई के बिना तबाह हो रही है। सूनी व पानी विहीन नहर में युवक क्रिकेट खेलकर शीतकालीन अवकाश व्यतीत कर रहे हैं। इस समय गेहूं, सरसों, मटर आदि की सिंचाई के लिए नहरों में पानी होना चाहिए, लेकिन मांडा क्षेत्र के उपरौध राजबहा की ज्यादातर नहरों, बेलन नहर प्रखण्ड और उमापुर पंप कैनाल से जुड़ी नहरों में पानी न होने से किसानों की रबी की फसल तबाह हो रही है। नहरों में पानी न रहने से तमाम छात्र नहर में क्रिकेट खेलकर शीतावकाश व्यतीत कर रहे हैं। मांडा क्षेत्र के उपरौध के अलावा अन्य प्रायः सभी गांवों में नहरों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि उपरौध राजबहा, बेलन नहर प्रखण्ड, गुलरिया बांध, उमापुर पंप कैनाल से जुड़ी किसी भी नहर में कभी किसानों को जरुरत पर पानी नहीं मिल पाता, जिससे खरीफ हो या रबी हर फसल नष्ट हो जाती है। नहरें मांडा क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान कम और अभिशाप अधिक साबित हो रही है। नहरों के खोदाई के बाद से ही क्षेत्र कमांड एरिया में आ जाने से जमीन का सर्किल मूल्य बढ़ गया। जमीन के क्रय विक्रय पर स्टांप शुल्क सिंचित क्षेत्र के मानक से लगने लगा। नहर खोदाई के लंबे अवधि के बाद भी 1983 से अब तक उपरौध राजबहा से संबंधित कुरहरा, कुशलपुर, बखार आदि तमाम गाँवों के किसानों को नहर में अधिग्रहित जमीन का अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। किसानों में नहर खोदाई के वक्त खुशी थी कि अब उनके खेतों में हमेशा हरियाली रहेगी, लेकिन यह खुशी अपवाद स्वरूप सिर्फ 1987 को छोड़कर कभी वापस नहीं आयी। 1987 में उपरौध राजबहा की नहरों के टेल पर बसे गांवों तक सिर्फ एक बार पानी पहुँच पाया था।
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