नहरों में पानी न आने से धान की खेती तबाह, खेतों में पड़ी दरार
मांडा। मांडा के पहाड़ी गांवों में नहरों का जाल बिछे होने के बावजूद नहरों में
मांडा के पहाड़ी गांवों में नहरों का जाल बिछे होने के बावजूद नहरों में पानी न आने तथा सिंचाई की कोई अन्य व्यवस्था न होने से धान के खेत सूख रहे हैं। पानी के अभाव में खेतों में पड़ रही दरारों और सूखती खेती को आंखों में आंसू भरकर देखने के सिवा किसान कुछ भी नहीं कर पा रहा है। मांडा के दक्षिणी पहाड़ी भूभाग में बसे उपरौध क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों में सिंचाई के लिए नहर या बरसात को छोड़कर कोई अन्य व्यवस्था पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण नहीं है। वर्ष 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के प्रयास से उपरौध राजबहा नहर बनकर तैयार हुई। इस उपरौध राजबहा में दसवार माइनर सहित छह माइनर बनाकर लगभग सौ किमी लंबी नहर का जाल मांडा उपरौध क्षेत्र में फैलाया गया। उपरौध राजबहा में पानी सिरसी बांध से आता है और सिरसी बांध मिर्जापुर जनपद में स्थित है। नहर बनकर तैयार होने के बाद सरस भवन लखनऊ में मिर्जापुर और इलाहाबाद के तत्कालीन डीएम, दोनों जिलों के सिंचाई अधिकारियों की एक बैठक प्रमुख अभियंता सोन की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सिरसी जलाशय में उपलब्ध पानी का 33 प्रतिशत पानी सिंचाई के लिए मांडा के उपरौध राजबहा को हर साल दिया जाएगा, लेकिन अपवादस्वरूप 1987 को छोड़कर आज तक कभी भी इस समझौते का अनुपालन न हो सका। परिणाम यह रहा कि नहर में पानी आने पर भी नहर के हेड पर बसे कुछ गांवों को छोड़कर कभी भी टेल तक किसी भी माइनर से नहर का पानी नहीं पहुंच पाया। राजनेताओं और जन प्रतिनिधियों ने भी नहर में पानी न आने के सवाल पर हमेशा केवल कोरा आश्वासन दिया।
धान की खेती इस उपरौध क्षेत्र में कल्पना की वस्तु होती जा रही है। बेलहा कला के किसान जनेश्वर आदिवासी, जगदीश, बहादुर, नचकू, दरबारी लाल, लालचंद, कन्हैयालाल, साधू प्रजापति, नंदलाल तथा कुशल पुर गाँव के किसान उमेश प्रजापति ने बताया कि धान की खेती तैयार थी, लेकिन पानी के अभाव में सारे खेत सूख रहे हैं और खेतों में दरारें पड़ गयी हैं। उपरौध क्षेत्र के परसीधी गांव निवासी राजेन्द्र प्रसाद सहित हजारों किसान सूखती धान की बेहन और खेती को आंखों में आंसू भरकर देखने के सिवा कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।
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