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नदी, तालाब और झरनों का सूखना भविष्य की तबाही

Gangapar News - शरीर की संरचना में अगर वसा को छोड़ दिया जाय तो हमारे शरीर में सत्तर प्रतिशत पानी मौजूद है। शरीर को स्वास्थ्य बनाये रखने के लिये प्रतिदिन कम से कम तीन...

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारMon, 22 March 2021 06:21 PM
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नदी, तालाब और झरनों का सूखना भविष्य की तबाही

शरीर की संरचना में अगर वसा को छोड़ दिया जाय तो हमारे शरीर में सत्तर प्रतिशत पानी मौजूद है। शरीर को स्वास्थ्य बनाये रखने के लिये प्रतिदिन कम से कम तीन लीटर स्वच्छ जल की आवश्यकता पड़ती है। जल है तो कल है। यह बातें सोमवार रुदापुर स्थित भारद्वाज गुरुकुलम में जल संरक्षण पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक विनय उपाध्याय ने कही।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अनिक घी के आंचलिक प्रबंधक संतोष सिंह ने भावी पीढ़ी को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने पर बल देते हुए कहा कि बच्चों को पानी के मूल्यों को समझाना होगा। पानी के अपव्यय ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हैं, हालांकि शहरी क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं। नदियों, तालाबों, झरनों का सूखना भविष्य में तबाही का संकेत दे रहे है। गोष्ठी का संचालन करते शिक्षक अमित राय ने छात्र छात्राओं से अपील करते हुए बताया कि कहीं भी नल खुला हो तो उसे रुककर बंद कर दीजिए। जल संरक्षण की योजना तभी लक्ष्य तक पहुंचेगी जब बच्चे बड़ो से निवेदन करेंगे कि पानी बर्बाद मत कीजिये। संगोष्ठी में प्रधानाचार्य एसआर दास, देवेश सिंह आदि ने भी जल संरक्षण के विभिन्न पहलुओं से छात्र छात्राओं को अवगत कराते हुए विस्तार से बताया। इस मौके पर प्राची श्रीवास्तव, अंजली यादव, फरहीन, विपुल शुक्ला, अशफ़ाक़ आदि सहित विद्यालय परिवार मौजूद रहे।

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