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शंकरगढ़ में हुई धनुष यज्ञ की रामलीला

शंकरगढ़ में आयोजित रामलीला में धनुष यज्ञ का मंचन हुआ। महाराज जनक ने कई राजाओं को धनुष उठाने के लिए बुलाया, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुआ। राजाओं की असफलता से दुखी होकर महाराज जनक ने स्वयंवर बंद करने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारSun, 6 Oct 2024 08:20 PM
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शंकरगढ़,हिन्दुस्तान संवाद। शंकरगढ़ के राज भवन प्रांगण में संचालित रामलीला में शनिवार को धनुष यज्ञ की लीला का मंचन किया गया। इसमें महाराज जनक के प्रण को सुन करके अनेकों देश के राजा मिथिलापुरी में पहुंचते हैं परंतु लंकापति रावण, बाणासुर सहित कोई भी राज भगवान शंकर की धनुष को नहीं उठा पाए। राजाओं की ऐसी दशा देखकर महाराज जनक को बहुत कष्ट होता है । उन्होंने ग्लानि में समस्त राजाओं को सभा छोड़कर चले जाने को कहते हैं और स्वयंवर की कार्यवाही बंद करने की घोषणा करते हैं। तभी विश्वामित्र के शिष्य लक्ष्मण ने क्रोध में कहा कि अगर मेरे प्रभु श्री राम का आदेश हो तो मैं धनुष की सैकड़ों टुकड़े कर सकता हूं लक्ष्मण के क्रोध को देखकर राम जी उन्हें समझाते हैं और गुरुदेव की आज्ञा पाकर प्रभु श्री राम धनुष का खंडन करते हैं।

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