चार घंटे में ही खत्म हो गई कुछ समितियों में आई डीएपी
मांडा। मांडा की कुछ समितियों में काफी कम मात्रा में डीएपी पहुंची, जो आने के
मांडा की कुछ समितियों में काफी कम मात्रा में डीएपी पहुंची, जो आने के चार घंटे बाद खत्म भी हो गई। मांडा दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र की दो समितियों में खाद नहीं आ पायी। जिन समितियों में डीएपी पहुंची भी, वहां खाद कम और किसान अधिक होने के कारण समिति संचालकों को पुलिस बुलवाकर डीएपी वितरण करनी पड़ी, जो चार घंटे में ही खत्म भी हो गई। मांडा क्षेत्र की साधन सहकारी समिति मांडा खास, राजापुर और कोसड़ाकला में दो दो सौ बोरी डीएपी मंगलवार को पहुंची। खाद की मात्रा बेहद कम और किसानों की संख्या अधिक होने के कारण पुलिस लगवाकर समिति संचालकों ने किसी तरह खाद वितरण किया। शाम तक समितियों में आयी डीएपी खत्म भी हो गई। मांडा दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र के हाटा व मझिगवां साधन सहकारी समिति पर मंगलवार को भी डीएपी नहीं पहुंच पायी, जबकि इन दोनों समितियों के अंतर्गत आने वाले गांवों में मसूर की खेती भारी मात्रा में होती है और मसूर के लिए डीएपी बेहद आवश्यक है। इसके पूर्व मांडा की समितियों 13 अक्तूबर व 12 नवंबर को भी इसी तरह बेहद कम मात्रा में डीएपी मिली थी। समितियों में डीएपी की किल्लत का भरपूर लाभ प्राइवेट खाद विक्रेता उठा रहे हैं। मांडा के मांडा खास, दिघिया, हाटा, चिलबिला, खवास का तारा सहित विभिन्न बाजारों में 1350 रुपये बोरी की डीएपी 17 सौ रुपये बोरी तक में किसान खरीदने के लिए मजबूर हैं। मांडा साधन सहकारी समिति के सचिव ने जानकारी दी कि डीएपी के लिए चेक लगा दिया गया है। शीघ्र ही डीएपी की अगली खेप भी समिति पर आ जाएगी।
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