मांडा की आठों समितियों में एक माह पहले आई थी डीएपी
मांडा क्षेत्र में आठ साधन सहकारी समितियों में तीन-तीन सौ बोरी डीएपी एक माह पहले आई थी, जो तुरंत खत्म हो गई। समितियों ने डीएपी के लिए चेक भेजे, लेकिन केवल एक खेप आई। किसानों को नैनो तरल खाद देने का...
मांडा, हिन्दुस्तान संवाद। मांडा क्षेत्र के आठ साधन सहकारी समितियों में तीन-तीन सौ बोरी डीएपी एक माह पहले आई थी, जो आते ही खत्म भी हो गई थी। समितियों द्वारा डीएपी के लिए तीन तीन चेक भेजे जा चुके हैं, लेकिन जनपद से डीएपी की केवल एक खेप भेजी गई, जो आते ही खत्म हो गई।
एनपीएस के साथ 600 रुपये दाम की नैनो तरल 500 एमयल तथा यूरिया के साथ नैनो यूरिया तरल 225 रुपये बोतल किसानों को दो बोरी खाद पर एक बोतल जबरन देने का जिले से फरमान है। किसानों का कहना है कि तरल खाद की खेतों में बिल्कुल जरुरत नहीं है। समिति ने बीस रुपये का तरल का पाउच बनाकर किसानों को देना शुरू किया है, हालांकि इसे लेकर किसानों और समिति संचालकों में काफी किचकिच होती है। मांडा समिति से डीएपी के लिए तीन चेक जिले में भेजे गए हैं, लेकिन एक केवल एक ट्रक डीएपी तेरह अक्टूबर को तब मांडा आई, जब 11 अक्तूबर को हिन्दुस्तान ने मांडा में डीएपी का अभाव, किसान परेशान खबर वरीयता से प्रकाशित किया था। मांडा क्षेत्र में कुल आठ साधन सहकारी समितियों में तीन तीन सौ बोरी डीएपी उसी समय भेजी गई थी । इसके पहले और अब डीएपी के स्थान पर एपीयस या यूरिया लेने के लिए किसानों को विवश किया जा रहा है। समिति संचालकों ने बताया कि आलू बोआई के वजह से इन दिनों डीएपी हरे की मांग अधिक है।
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