Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़First digital arrest gang caught in UP B Tech students also included in the gang

यूपी में पकड़ा गया डिजिटल अरेस्ट करने वाला पहला गैंग, गिरोह में बीटेक छात्र भी शामिल

डिजिटल अरेस्ट कर रेलवे के रिटायर मुख्य टिकिट निरीक्षक से 15 लाख रुपये ठगने वाली फर्जी सीबीआई टीम पुलिस की गिरफ्त में है। यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरफ्त में आए हैं।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, आगराThu, 10 Oct 2024 10:23 PM
share Share

डिजिटल अरेस्ट कर रेलवे के रिटायर मुख्य टिकिट निरीक्षक से 15 लाख रुपये ठगने वाली फर्जी सीबीआई टीम पुलिस की गिरफ्त में है। यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरफ्त में आए हैं। आरोपियों में एक कंप्यूटर साइंस से बीटेक है। गैंग के कई शातिर सदस्य अभी फरार हैं। गुरुग्राम और दिल्ली में शातिरों ने अपने कई ठिकाने बना रखे थे। सुबह से शाम तक सिर्फ डिजिटल अरेस्ट करते थे।डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि 14 अगस्त को राज अपार्टमेंट जसोरिया एन्क्लेव फतेहाबाद मार्ग निवासी नईम बेग मिर्जा ने पुलिस से डिजिटल अरेस्ट की शिकायत की। उनकी तहरीर पर साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।

पीड़ित ने पुलिस को बताया कि 13 अगस्त की सुबह उनके पास व्हाट्सएप पर फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि वह ट्राई से है। उनका मोबाइल नंबर दो घंटे बाद बंद हो जाएगा। उन्हें नेहरू नगर थाना दिल्ली में संपर्क करना है। उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा मनी लाड्रिंग की एक जांच की जा रही है। वह कॉल ट्रांसफर कर रहा है। यह सुनकर वह घबरा गए। उन्हें लगा मुसीबत में न पड़ जाएं। पुलिस का क्या है, रस्सी का सांप बना देती है।

कथित सीबीआई टीम ने उन्हें बताया कि संदीप कुमार की जांच चल रही है। उनके आधार कार्ड पर एचडीएफसी बैंक में एक खाता खुला है। जिसमें 68 लाख रुपये ट्रांसफर हुए हैं। आरोपियों ने उन्हें दो पत्र भेजे। उन्हें फोन नहीं काटने दिया। दबाव बनाकर उनसे खाता नंबर पूछा। उनसे कहा कि जांच होने तक यह रकम दूसरे खाते में भेजनी होगी। जांच होने के बाद वापस की जाएगी।

आरोपियों ने एक नंबर दिया। उनसे आरटीजीएस करने को कहा। वह बैंक गए। उस समय दोपहर के डेढ़ बज रहे थे। आरोपियों ने उस समय भी फोन नहीं काटा। आरटीजीएस करने के बाद उनसे कहा कि बिना किसी से बात करे सीधे घर पहुंचें। घर आकर उनसे कहने लगे कि आगे की जानकारी बाद में लेंगे। यह सुनकर उन्होंने पूछा कि रुपये कब वापस होंगे। इस सवाल पर उन्हें धमकाया। कहा दिमाग खराब है। जिंदगी जेल में निकल जाएगी। जांच अभी जारी है। उन्हें शक हुआ। वह बैंक गए। बैंक वालों से पेमेंट स्टॉप कराने को कहा। वे तैयार नहीं हुए।

एक दिन में खाते में आए 2.70 करोड़

डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि जिस खाते में सीटीआई से 15 लाख ट्रांसफर कराए थे उस खाते में उस दिन अलग-अलग जगह से 2.70 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वह पिछले तीन माह में चार करोड़ रुपये कमा चुके थे। यह रकम पूरे गैंग में बंटती है।

इनकी हुई गिरफ्तारी

-मोहम्मद राजा रफीक निवासी दरियागंज, नई दिल्ली। मूलत: भीलवाड़ा, राजस्थान का निवासी है। हाईस्कूल पास है। पहले भी जेल जा चुका है।

-मोहम्मद दानिश व मोहम्मद कादिर निवासी बड़ौत, बागपत।

-मोहम्मद सुहेल अकरम निवासी करीमगंज, असोम। सुहेल ने बेंगलुरु के नामी कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक पास किया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट में विवेक कुमार, गौरव, महेश शिंदे की भी अहम भूमिका रहती है। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी जाती हैं।

खाते कराए गए फ्रीज

एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह ने बताया कि साइबर थाना पुलिस टीम को डीसीपी सिटी ने 25 हजार रुपये का इनाम दिया है। डिजिटल अरेस्ट में प्रदेश में यह पहली कार्रवाई है। आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, मैकबुक, नौ मोबाइल बरामद किए गए हैं। आरोपियों को दिल्ली पुलिस पूर्व में गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है।

भय और बदनामी से बचने को देते हैं रकम

सीबीआई और ईडी का देशभर में खौफ है। बड़े से बड़े की मिनट से पहले बरात निकल जाती है। पुलिस घसीटते हुए ले जाती है। सुबह से शाम तक टीवी पर यही चलता है। इस कारण लोगों के जेहन में सीबीआई और ईडी का खौफ बैठ गया है। इन जांच एजेंसियों से वे डरते हैं जिनके पास पैसा है। इज्जत है। पुलिस तो पुलिस है। रस्सी का सांप बना देती है। लोग मुसीबत में नहीं पड़ना चाहते। गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वे इसी माहौल का फायदा उठा रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट के बाद रकम वही देता है जिसके पास पैसा है। जिसके पास पैसा नहीं है वो उनके जाल में नहीं फंसता।

अगला लेखऐप पर पढ़ें