बोले फिरोजाबाद: बुलंद हौसलों का मिला साथ तो मंजिल की ओर चल पड़ा कारवां
Firozabad News - फिरोजाबाद की जायंट्स ग्रुप की महिलाएं शिक्षा और आर्थिक सहायता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। ये महिलाएं कमजोर परिवारों की मदद कर रही हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार ला रही हैं। हालांकि, प्रशासनिक...
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किसी का कांच का कारोबार है तो किसी की चूड़ी की फैक्ट्रियां हैं। ऐसे ही बड़े-बड़े घरानों की महिलाएं शिक्षा जगत से जुड़कर बच्चों को काबिल बनाने में जुटी हैं। इतना ही नहीं ये महिलाएं आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों की मदद के लिए भी आगे आई हैं। शहर मे ंकई ऐसी परिवार हैं, जिन्होंने इन महिलाओं से मदद लेने के बाद अपनी जीवन स्तर को बदल दिया। हालांकि सामाजिक कार्यों में लगी इन महिलाओं के सामने भी कई समस्याएं हैं। हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद कार्यक्रम में संवाद के दौरान इन्होंने खुलकर कहा कि अगर प्रशासनिक मदद मिले तो समाज के लिए काम और बेहतर हो सकता है। हम बात कर रहे हैं जायंट्स ग्रुप आफ फिरोजाबाद महिला शक्ति की महिलाओं की। जायंट्स वेलफेयर फाउंडेशन से जुड़े इस महिला संगठन द्वारा समय समय पर जरूरतमंद महिलाओं की मदद की जाती है। जब महिलाओं की मदद के लिए संगठन ने हाथ आगे किए तो कई महिलाएं ऐसी भी आईं जो पति के उत्पीड़न या समाज में हो रहे उत्पीड़न का शिकार हो रही थीं। महिला संगठन को अभी तक प्रशासनिक स्तर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं मिल पाई है कि पुलिस और प्रशासन इस महिला संगठन के साथ मिलकर महिलाओं के उत्थान, उनकी समस्याओं को हल कराने के लिए समय समय पर कोई सेमिनार, कोई बैठक करे और पीड़ित महिलाएं अपनी बात को प्रशासन के आगे स्वयं रख सकें।
महिला संगठन की महिलाओं का कहना है कि उनके पास इतना समय नहीं होता कि वे थानों में जाकर पीड़ित महिलाओं की समस्याओं को हल कराने के लिए चक्कर लगाएं। कई बार तो थानों में उनकी सुनवाई नहीं हो तो कई कई बार भागदौड़ करनी पड़ जाएगी और उनके संगठन की गतिविधियां प्रभावित हो जाएंगी। कई साल पहले अधिकारियों से कुछ मामलों में गुहार लगाई थी लेकिन महिलाओं को न्याय नहीं मिलता देख उन्होंने अब स्वयं के द्वारा की जा रही मदद को ही हथियार बना लिया है।
इस तरह मदद करता है महिला संगठन: जायंट्स ग्रुप महिला शक्ति की महिलाओं द्वारा समय समय पर गरीब महिलाओं की मदद की जाती है। मेधावी गरीब छात्रों को पढ़ाई के लिए फीस दी जाती है। गरीब कन्याओं की शादी में मदद की जाती है। कैंसर से पीड़ित मरीजों, गंभीर बीमारियों में पीड़ित को मदद की धनराशि इलाज के लिए देती हैं। इतना ही नहीं समय समय पर चिकित्सा कैंप लगाकर बीमारियों से संबंधित इलाज और दवाएं मुहैया कराती हैं। सर्दियों में स्कूल में स्वेटर वितरण, शूज दिए जाते हैं। छात्रों के लिए कई स्कूलों में टायलेट बनवाए हैं और सार्वजनिक स्थानों पर टायलेट बनवाने में मदद करती हैं। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए रोजगार संबंधी शिविरों का आयोजन भी समय समय पर कराती हैं।
सरकारी योजनाओं के लाभ में देरी:महिला संगठन का कहना है कि कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए अगर फार्म भरवा दिए जाते हैं तो उन योजनाओं का लाभ मिलने में युवतियों को देरी हो जाती है। जरूरतमंद महिलाओं का मनोबल भी टूट जाता है। ऐसे में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में प्रशासन को थोड़ी मदद करनी होगी। कुछ संगठन की महिलाएं योजनाओं को लेकर कैंप संचालित करती हैं उन महिलाओं के आगे भी परेशानी आ जाती है। सरकारी बजट मिलने में देरी हो जाती है।
प्रशासन का साथ मिले तो बने बात
महिला संगठन का कहना है कि अगर प्रशासन उनके साथ महीने में एक बार ही कोई बैठक या अन्य कार्यक्रम आयोजित कर ले तो संगठन के पास आने वाली महिलाओं की समस्याएं हल हो सकती हैं। कई बार महिलाएं अपनी बात को थानों में और अधिकारियों के पास जाकर नहीं कह पातीं उनको हमारे साथ बैठकर हल करा सकती हैं। इसके लिए प्रशासन को ही कोई पहल शुरू करनी होगी, हम उस पहल का हिस्सा बनने और मदद के लिए तैयार हैं।
मन की बात
महिलाओं के संगठन द्वारा लगातार जरूरतमंद महिलाओं की मदद की जा रही है। इसके लिए हम ऐसी महिलाओं को चिह्नित करती हैं और उनको सिलाई मशीन आदि को लेकर आत्मनिर्भर बनाने का काम करती हैं।
-प्राची अग्रवाल, अध्यक्ष
समाज की तमाम महिलाएं हैं जिनके पास सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है। ये महिलाए हमारे संगठन के पास मदद को आती हैं। हम उनको स्वरोगजार के साधनों को मुहैया कराने के लिए सिलाई मशीन या अन्य उपकरण देती हैं।
-रीना गर्ग सचिव
हमारा महिला संगठन पिछले 25 सालों से काम कर रहा है। अब तक हजारों महिलाओं को मदद दी जा चुकी है और महिलाओं को प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों में आत्मनिर्भर भी बनाया है। महिला संगठन अपने लक्ष्य को पाने में लगा हुआ है।
-रेनू अरोरा
संगठन के पास अपना ही धन होता है जिसे संगठन की महिलाओं द्वारा एकत्रित किया जाता है। अगर हम सरकारी मदद के लिए महिलाओं को भेजती हैं तो उनको लाभ मिल जाना चाहिए। कई बार महिलाएं सरकारी मदद की ओर टकटकी लगाकर देखती रहती हैं।
-दीपा अग्रवाल, वित्त निदेशिका
महिला संगठन पूरी तरह महिलाओं की मदद के लिए बना है। जब भी कोई महिला अपना उत्पीड़न लेकर आती है तो संगठन की कोशिश होती है कि उस उत्पीड़न को खत्म करा दिया जाए और संगठन उनको काम दिलवाता है।
-अनू बंसल, यूनिट डायरेक्टर
समाज में महिलाओं का संगठन काम कर रहा है लेकिन अगर महिलाओं को पुरुषों द्वारा समानता का दर्जा दे दिया जाए तो समाज की तमाम महिलाएं उत्पीड़न का शिकार होने से बच जाएंगीं। हर जगह संगठन समस्या हल कराने नहीं पहुंच सकता।
-मोनिका गर्ग
महिलाओं को बराबरी का दर्जा जरूर दिया जाना चाहिए। अधिकांश महिलाओं के उत्पीड़न में यह बात जरूर सामने आती है। महिलाओं को अगर परिवार के लोग नहीं समझ पा रहे तो उनको बाहरी दुनियां में सम्मान नहीं मिल पाता।
-श्वेता जैन
महिलाओं से हमारे द्वारा ये पूछा जाता है कि वे किस तरह अपना जीवन यापन कर सकती हैं। महिलाओं द्वारा जो रास्ता चुना जाता है उसी के आधार पर मदद कर दी जाती है। फिर चाहे पार्लर की दुकान खुलवानी हो या सिलाई मशीन देनी हो।
-गौरी बंसल
महिलाओं के लिए हम कई योजनाओं के हत प्रशिक्षण को संचालित कराती हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। बस सरकारी मदद में सरकारी बजट समय पर नहीं मिलने पर महिलाओं को दिक्कतें जरूर आती हैं।
-वर्तिका जैन
महिलाओं के संगठन के साथ प्रशासन को भी आगे आना चाहिए। हमारे साथ भी संगोष्ठी और बैठकें आयोजित हों तो पीड़ित महिलाओं का दर्द हम प्रशासन तक आसानी से पहुंचा सकती हैं और शिविर में पीड़िताओं को लाभ मिल सकता है।
-रश्मि अग्रवाल
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