सोशल मीडिया के दौर में हिंदी भाषा को बचाने की जरूरतःममता
शिकोहाबाद शब्दम संस्था ने 20 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया, जिसमें हिंदी कथाकार ममता कालिया और कवियित्री अनामिका को सम्मानित किया गया। किरण बजाज ने कला और साहित्य की स्थायित्व की बात की। ममता कालिया...
शिकोहाबाद शब्दम संस्था ने 20 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। पदाधिकारियों ने हिंदी की प्रख्यात कथाकार ममता कालिया और प्रख्यात कवियित्री अनामिका को हिंदी साहित्य सेवी सम्मान, बैजयंती माला और सम्मान राशि देकर सम्मानित किया। शब्दम अध्यक्ष उद्योगपति किरण बजाज, शेखर बजाज ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि सत्ता की राजनीति के उद्देश्य भले ही दूरगामी न हों लेकिन कला संगीत और साहित्य की संस्कृतियां युगों तक अपना प्रभाव डालती हैं और डालती रहेगी। दीपक औहरी ने संस्था का लेखाजोखा प्रस्तुत किया।
कथाकार ममता कालिया ने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में हिंदी भाषा को बचाने की जरूरत है। जीवन में जब संकट आता है तो हमें साहित्य ही संबल देता है। आज कहानी में स्त्री आंसू बहाती हुई स्त्री नहीं है। शिक्षा के प्रसार ने स्त्री को शक्तिशाली बनाया है। कवयित्री और कथाकार अनामिका ने कहा कि आजकल हिंदी की विभिन्न विधाओं में आवाजाही हो रही है। आजकल समाज से चिट्ठियां गायब हैं लेकिन कहानी में चिट्ठियां उपस्थित हैं। साहित्य सबको जीवित रखता है। जिंदगी एक रफ ड्राफ्ट है और साहित्य इसी रफ ड्राफ्ट से मुकम्मल रचना देता है।
विशिष्ट अतिथि डा सुबोध दुबे ने कहा कि यह देश कहानी का जन्मजाता देश है। व्यंग्यकार अरविन्द तिवारी ने ममता कालिया का परिचय प्रस्तुत किया। अध्यक्षता मंजर उल वासै ने की। डा. रजनी यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन कवि महेश आलोक ने किया। इस दौरान अनूप चन्द्र जैन, डा प्रवीन कुमार, विशाल पाठक , डा सुशील मिश्रा, रत्नेश कुलश्रेष्ठ, मीनू यादव, समीर विश्वास, मनोज कुलश्रेष्ठ, पुष्कर तिवारी, हरीशंकर यादव, कृष्ण कुमार खण्डेलवाल, तरूण अग्रवाल, आलोक अर्श, गौरांगी मिश्रा, आकाश यादव आदि मौजूद रहे।
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