गढ़सान में आजादी के बाद दो बार हुआ प्रधानी का चुनाव
फिरोजाबाद/शिकोहाबाद। पंचायत चुनाव का नाम आते ही मन में ये बात जरूर आती है कि कहीं न कहीं गांवों में दुंदुभी बजने पर रंजिश जरूर पनपेगी। अक्सर विवाद,...
शिकोहाबाद। पंचायत चुनाव का नाम आते ही मन में ये बात जरूर आती है कि कहीं न कहीं गांवों में दुंदुभी बजने पर रंजिश जरूर पनपेगी। अक्सर विवाद, फायरिंग, मारपीट, हत्या और आपसी मनमुटाव जैसी घटनाएं तो आम हैं लेकिन इन सबके बीच फिरोजाबाद के मदनपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत गढ़सान नजीर बनी हुई है। यहां आजादी के बाद से केवल दो बार ही मतदान हुआ है। विगत 30 साल से भी गांव में कोई प्रधान के पद को लेकर मतदान नहीं हुआ है। गांव में सर्वसम्मति से ही प्रधान का चुनाव के लिए निर्विरोध ही किसी एक व्यक्ति को चुन लिया जाता है। यह परंपरा लगभग 30 सालों से चली आ रही है।
सिरसागंज के विधायक हरिओम यादव का पैतृक गांव होने के कारण गांव में जो भी निर्णय होते हैं वह सर्वसम्मति से ही किया जाता है। विधायक के गांव में लोग पंचायत बुलाते हैं, उसी पंचायत में गांव के योग्य उम्मीदवार को चुनकर 5 साल का अवसर देते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में 4 खानदान हैं। साथ ही एक अन्य परिवार भी है जिनमें बारी बारी से किसी एक को प्रधान चुन लिया जाता है।
विकास और रंजिश दोनों पर लगी रोक
गांव के बुजुर्ग व युवा वर्ग जिसे भी पसंद करता है उसी को प्रधान चुन लिया जाता है। जिससे गांव में विकास भी होता रहता है। साथ ही प्रधान पद को लेकर उपजी रंजिश भी नहीं बनती है। जिससे लोग प्रेम व भाई चारे के साथ रहते हैं। यह परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है।
गांव में भाईचारे के कारण हुआ संभव : विधायक
इस बारे में विधायक हरिओम यादव बताते हैं कि आजादी से लेकर आज तक गांव में 2 बार ही प्रधान पद को लेकर चुनाव हुआ है। विगत 30 साल से गांव में कोई चुनाव नहीं हुआ है। यह सब गांव में भाईचारे के कारण हो पा रहा है। चुनाव न होने से सभी मे प्रेम बना हुआ है। इसीलिए शायद कोई रंजिश भी नहीं है। सभी मिलकर प्रधान को निर्विरोध चुन लेते हैं।
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