प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस 4 हफ्ते में तय हो, हाईकोर्ट ने लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई के भी दिए आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 2024-25 के सत्र के लिए शुल्क निर्धारण का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि शुल्क निर्धारण की कार्यवाही चार सप्ताह में पूरी की जाए।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गैर सहायता प्राप्त व सम्बद्ध मेडिकल कॉलेजों (निजी मेडिकल कॉलेज) के 2024-25 के सत्र के लिए शुल्क निर्धारण का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि शुल्क निर्धारण की कार्यवाही चार सप्ताह में पूरी की जाए। साथ ही मुख्य सचिव को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है, जिन्होंने शुल्क निर्धारण समिति का गठन करने में विलम्ब किया है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने यूपी अन-एडेड मेडिकल एंड अलॉयड साइन्सेज कॉलेज वेलफेयर एसोसिएशन व 17 अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। न्यायालय ने अपने निर्णय में राज्य सरकार के 11 जुलाई 2024 के उस शासनादेश को भी निरस्त कर दिया जिसके द्वारा इन कॉलेजों के लिए सत्र 2023-24 में निर्धारित शुल्क को 2024-25 के लिए बढ़ा दिया गया था। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर व अमित जायसवाल ने दलील दी कि राज्य सरकार को संबंधित प्रावधान के तहत शुल्क निर्धारण का अधिकार नहीं है। कहा गया कि शुल्क निर्धारण समिति ही विचार के उपरांत शुल्क का निर्धारण कर सकती है। सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद शुल्क निर्धारण समिति को याची संस्थानों की सत्र 2024-25 के लिए शुल्क निर्धारण प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। साथ ही संस्थानों को एक सप्ताह में शुल्क वृद्धि के संबंध में आवश्यक दस्तावेज समिति के समक्ष पेश करने को कहा है। न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में छह माह पूर्व ही शुल्क का निर्धारण हो जाना चाहिए था, बावजूद इसके निर्धारण समिति का गठन ही नहीं किया गया।