पिता-पुत्र सनकी हैं, वो कुछ भी कर सकते हैं...पांच लोगों की हत्या करने वाले अरशद को लेकर बोले पड़ोसी
- दिल्ली वाले के लड़के अरशद ने अपनी मां और चार बहनों को लखनऊ में मार डाला। टेढ़ी बगिया के पास इस्लाम नगर बस्ती में यह खबर आग की तरह फैली। अरशद के घर के बाहर लोगों का जमघट लग गया। बस्ती में एक भी ऐसा नहीं मिला जिसे घटना सुनकर आश्चर्य हुआ हो। हर कोई बोल रहा था कि पिता-पुत्र सनकी हैं।
दिल्ली वाले के लड़के अरशद ने अपनी मां और चार बहनों को लखनऊ में मार डाला। टेढ़ी बगिया के पास इस्लाम नगर बस्ती में यह खबर आग की तरह फैली। अरशद के घर के बाहर लोगों का जमघट लग गया। बस्ती में एक भी ऐसा नहीं मिला जिसे घटना सुनकर आश्चर्य हुआ हो। हर कोई बोल रहा था कि पिता-पुत्र सनकी हैं। कुछ भी कर सकते हैं। बस्ती वालों ने पुलिस को भी पुराने घटनाक्रम बताए। मोहम्मद बदर के पड़ोस में फातिमा का मकान है। फातिमा ने बताया कि मोहम्मद बदर का परिवार करीब 15 साल पहले दिल्ली से आगरा आया था।
इस्लाम नगर में किराए के मकान में रहते थे। बाद में यहीं पर 100 गज का एक प्लाट खरीद लिया। उसमें से 50 गज जमीन अलीम को बेच दी। 50 गज में फरवरी 2024 में अपना मकान बना लिया। फातिमा ने बताया कि मोहम्मद बदर अपने पत्नी और बच्चों को पीटा करता था। अस्मा और उसकी बेटियां घर से बाहर नहीं निकल सकती थीं। पिता-पुत्र दोनों सनकी हैं। पता नहीं, इतनी पाबंदी क्यों लगाकर रखते थे। अस्मा से कभी बात होती तो वह अपना दुखड़ा रोया करती थी। परेशान थी।
इस्लाम नगर के गफूर खान ने बताया कि उन्होंने बस्ती में ऐसा एक भी परिवार नहीं देखा जो मोहम्मद बदर के सुख-दुख में शामिल होता हो। बदर और उसके बेटे अरशद को किसी से कोई लेना-देना नहीं था। किसी से कभी भी उलझ जाते थे। बस्ती वाले भी उनसे कोई मतलब नहीं रखते थे। उनके घर किसी का आना-जाना नहीं था। वे लोग किसी से दुआ सलाम तक नहीं करते थे। किसी के घर सुख-दुख में भी नहीं आया करते थे। बस्ती वालों ने बताया कि मोहम्मद बदर को लोग दिल्ली वाले के नाम से जानते हैं। दिल्ली में वह किसी फैक्ट्री में काम करता था। वहां किसी बात पर उसकी नौकरी चली गई थी। परिवार सहित आगरा आ गया था।
घर में दफनाना चाहते थे बेटी का शव
बस्ती वालों ने बताया कि मोहम्मद बदर की पांच बेटियां थीं। करीब आठ साले पहले एक बेटी की बीमारी से मौत हो गई थी। मोहम्मद बदर और उसके बेटे अरशद ने शव को घर में ही दफनाने का प्रयास किया था। गड्ढा खोद लिया था। जानकारी पर बस्ती वालों ने विरेाध किया था। उन्हें समझाया था कि यह ठीक नहीं है। उस समय बदर ने कहा था कि जनाजा उठाने के लिए कम से कम चार लोग चाहिए। पिता-पुत्र अकेले जनाजा कैसे लेकर जाते। बस्ती वालों ने कहा था कि एक बार आवाज तो लगाते। पूरी बस्ती आ जाती। बस्ती के कुछ लोग उस समय परिवार की मदद को आगे आए थे। शव को कब्रिस्तान लेकर गए थे। इस घटना के बाद भी बदर और अरशद ने किसी के साथ उठना-बैठना शुरू नहीं किया।
दो माह में चली गई थी अरशद की पत्नी
मां और चार बहनों के हत्यारोपी अरशद का निकाह 28 जुलाई 2019 को बस्ती की एक युवती के साथ हुआ था। उसकी पत्नी दो माह ही ससुराल में रही थी। अपने मायके आ गई थी। उसके बाद सहमति से दोनों के बीच तलाक हो गया। युवती का दूसरी जगह निकाह हो चुका है। अरशद के बारे में पता लगाने के लिए पुलिस उसकी ससुराल पहुंची। अरशद के नाम का जिक्र आते ही उसकी पूर्व सास कसीमा भड़क गईं। बोली उसने बेटी को मारने में क्या कसर छोड़ी थी। दो माह में ही बेटी की जिंदगी को नर्क बना दिया था।
कसीमा ने पुलिस को बताया कि अरशद की मां अस्मा ने उनकी बेटी की जान बचाई थी। वह बताना नहीं चाहतीं। अरशद और उसके पिता मोहम्मद बदर दोनों एक जैसे हैं। कभी भी कुछ कर सकते हैं। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि मोहम्मद बदर भी अपनी बहू के साथ बदसलूकी करते थे। यह देख सास अस्मा ने बहू को समझाया था। कहा था कि जिंदगी में खुश रहना है तो उनके बेटे को छोड़ दे। इसके साथ रहेगी तो जिंदगी बद से बदतर हो जाएगी। इसके बाद अरशद की पत्नी ने उसे दो माह में ही छोड़ दिया था। समझौते से भी साफ इनकार कर दिया था।