बहरौली में बीमारी से महिला समेत दो की मौत
संक्रामक बीमारी से प्रभावित गांव बहरौली में मरीजों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। पिछले एक सप्ताह से तेज बुखार से तप रही एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई। इसी के साथ बीमारी से मरने वालों की...
संक्रामक बीमारी से प्रभावित गांव बहरौली में मरीजों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। पिछले एक सप्ताह से तेज बुखार से तप रही एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई। इसी के साथ बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़ कर छह हो गई है। वहीं मरीजों की मौत की जानकारी पर स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंच कर निरोधात्मक कार्रवाई की। स्वास्थ्य टीम ने मरीजों की सेहत जांची और दवाएं वितरित की।
मलवां ब्लॉक के बहरौली गांव में फैली बीमारी पर अंकुश लगाने की तमाम कोशिशें बेकार साबित हो रही है। मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मरीजों के मरने की संख्या भी बढ़ती जा रही है। गुरुवार रात बीमारी से मरी दो महिलाओं की मौत के बाद उनके चिताओं की आग भी ठंडी नहीं पड़ी कि शुक्रवार को एक महिला समेत दो लोगों की मौत सेे लोगों में दहशत फैल गई। गांव के शिवपाल सिंह परिहार पिछले तीन दिन से तेज बुखार से झुलस रहे थे। उनका निजी अस्प्ताल में इलाज चल रहा था। शुक्रवार मरीज की हालात बिगड़ गई। सीएचसी में भर्ती होने के बाद भी सेहत नहीं सुधरने पर उन्हें इलाज के लिए परिजन कानपुर ले जा रहे थे। रास्ते में मरीज की सांसे थम गई। इसी तरह जयकरण की पत्नी जयरानी की बीती रात अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें खून की पल्टियां होने लगी। जब तक परिजन अस्प्ताल ले जाने की तैयारी करते मरीज की सांसे थम गई। एक के बाद एक हो रही मौतों को लेकर ग्रामीण दहशत में है।
स्वास्थ्य विभाग ने पूरा किया कोरम
रोज की तरह शनिवार को भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची। टीम ने दो दर्जन मरीजों के सेहत की जांच की। अधिकतर मरीज तेज बुखार से तप रहे थे। वहीं प्रेमा, प्रियंका, सलोनी, सुधा, शैलेन्द्र, शीलू सोनी, रामपाल, सत्यम के अलावा कई लोगों में सरदर्द, जकड़न की शिकायत बताई। टीम ने मरीजों दो दवा वितरित करके हुए साफ सफाई के निर्देश दिए। टीम ने गांव में फॉगिंग तथा कीटनाशक का छिड़काव करने का कोरम पूरा कर लौट गई।
अभी भी गांव गंदगी से पटा
गांव में गंदगी व दूषित पानी से फैली संक्रामक बीमारी के बाद भी ग्रामीण गंदगी से मुंह नहीं मोड़ पा रहे है। चहुंओर से गांव में गंदगी का अंबार अभी भी पहले की तरह ही फैली है। रास्तों में बंधे मवेशी और गोबर से पटी बजबजाती नालियां बीमारी के प्रकोप को बढ़ा रही है। गांव का वातावरण पूरी तरह से दूषित हो चुका है।
मरीजों के परिजनों में व्याप्त
संक्रामक बीमारी से पीडि़तो के परिजनो में भी बीमारी का भय सता रहा है। भय के कारण ही परिजन मरीजो को घर के अंदर रखने के बजाय घर के बाहर आंगन में खटिया दिए हुए है और उनकी देखभाल कर रहे है। ऐसे में बीमारी से डरे कई परिवारो को जब स्वास्थ्य विभाग की दवाओ से राहत नही मिली तो कई परिजन अपने मरीजो को प्राइवेट अस्पतालों की चौखट पहुंच रहे है।
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बीमारी से यह गवां चुके जान
08 अगस्त: आशीष कुमार यादव की कानपुर में इलाज के दौरान मौत हुई
16 अगस्त: सरोज देवी पत्नी विनोद की तेज बुखार से सांसे थम गई
20 अगस्त: सीमा देवी की कानपुर ले जाते समय सांस थम गई
20 अगस्त: आशीष कुमार यादव की मां रामरती की भी मौत हो गई
21 अगस्त: शिवपाल सिंह परिहार की कानपुर ले जाते समय हुई मौत
21 अगस्त: बीमार चल रही जयरानी की तबियत बिगड़ने से मौत
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