साहब! यातायात माह में खटारा वाहनों को भी देख लेना
डग्गामार वाहनों के जरिए लोगों की अनमोल जिंदगियों को कुछ रूपयों में ढोने का धंधा कई सालों से क्षेत्र में जारी है। तहसील क्षेत्र के कई रूटों में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां और धुंआ उड़ाते इन टैम्पों और...
डग्गामार वाहनों के जरिए लोगों की अनमोल जिंदगियों को कुछ रूपयों में ढोने का धंधा कई सालों से क्षेत्र में जारी है। तहसील क्षेत्र के कई रूटों में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां और धुंआ उड़ाते इन टैम्पों और निजी बसों को न तो लोगों की परवाह है और न ही पर्यावरण की। नियमों को धता बताकर यात्रियों की जान जोखिम में डालकर उनको मंजिल तक पहुंचाया जा रहा है। यूनियन के जरिए खाकी तक पहुंचने वाली चौथ से यात्री खटारा हो चुके टैम्पों में चढ़ाए जा रहे हैं।
नगर में काफी वर्षों से कई रूटों पर टैम्पुओं, मिनी बसों व बसों से सवारियां ढोई जा रही हैं। नगर से अजुहा, थरियांव, चौकी, हथगाम, प्रेमनगर, नौबस्ता, खखरेरू, विजयीपुर समेत दूसरे कई क्षेत्रों में मानकों का उल्लंघन कर खटारा वाहनों से सवारियां ढोई जा रही हैं। नियमित सरकारी परिवहन सेवा न होने से प्रतिदिन सैकड़ों लोग इनसे सफर भी करते हैं। यह राहत भरा हो सकता है लेकिन मानक के विपरीत अपनी उम्र पूरी कर चुके अवैध वाहन लोगों के लिए खतरा बने हैं। सूत्र बताते हैं कि करीब आधा दर्जन स्थानों पर मनमाने ढंग से बनाए गए अड्डों से न केवल संचालक जेबे भरते हैं बल्कि कुछ हस्सिा खाकी को भी जाता है। बताते हैं कि कोतवाली, थरियांव, हथगाम, सुल्तानपुर घोष, खखरेरू समेत दूसरे थानों से गुजरने के बावजूद मानकों के विपरीत चल रहे वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यात्रियों को सर्वाधिक खतरा टैम्पों की ओवरलोडिंग से है।
यातायात माह में दिखानी होगी गंभीरता
सड़क पर सुरक्षित परिवहन के लिए जम्मिेदार विभाग सड़क सुरक्षा और यातायात माह के दौरान भी इन टैम्पों की सुध नहीं लेते हैं। राजस्व पूरा होता न देख भले ही वत्तिीय वर्ष के आखिरी महीनों में अपना राजस्व पूरा करने के लिए चालान काट दिए जाते हों लेकिन इनमे भी यात्री सुरक्षा के प्रति गंभीरता नहीं झलकती है।
चालकों का डाटा और ड्रेस नहीं
लोगों का कहना है कि जिन रूटों पर वाहनों का संचालन आवश्यक है, उन रूटों के प्रत्येक थाने अथवा नर्धिारित की गई जगह पर प्रत्येक वाहन के साथ उसके मालिक और चालक का पूरा ब्यौरा दर्ज होना चाहिए। वाहनों को एक यूनिक नंबर अलाट कर उसे पेंट कराना उचित होगा। लोगों का यह भी कहना है कि चालक और क्लीनर की ड्रेस का भी शहरों की तर्ज पर नर्धिारण होना चाहिए। उनकी अलग पहचान से महिलाओं व बुजुर्गों समेत दूसरी सवारियों की सुरक्षा को पुख्ता किया जा सकेगा।
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