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बोले फतेहपुर: बदइंतजामी की पटरी पर रेलवे कॉलोनी

Fatehpur News - फतेहपुर के रेलवे कर्मचारियों के लिए बनी आवासीय कॉलोनी में समस्याओं का अंबार है। जिले में 5000 कर्मचारी हैं, लेकिन केवल 600 आवास उपलब्ध हैं। जर्जर आवास, टूटी नालियाँ, और सफाई की कमी से कर्मचारी परेशान...

Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरThu, 20 Feb 2025 06:37 PM
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बोले फतेहपुर: बदइंतजामी की पटरी पर रेलवे कॉलोनी

फतेहपुर। रेलवे कर्मचारियों के लिए बनी आवासीय कॉलोनी में समस्याओं का अंबार है। शिवकुमार कहते हैं यूं तो जिले में पांच हजार कर्मचारी विभाग में तैनात हैं लेकिन इनके रहने के लिए यहां मात्र 600 आवास ही बने हैं। शेष कर्मचारी विभिन्न इलाकों में मकान किराये पर लेकर रह रहते हैं। मौजूदा समय में रेलवे कर्मियों के लिए बना सरकारी आवास बेहद जर्जर दशा में है। जिनमें रहना कर्मचारी और उनके परिवार के लिए मुश्किल भरा हैं। वीरेंद्र चौधरी कहते हैं.. दशकों पहले बनी रेलवे कॉलोनी मेंटीनेंस की कमी के कारण जर्जर हो चुकी है। अधिकतर के दरवाजे टूटे हुए हैं। सड़कें जर्जर हैं। अन्ना मवेशी, सीवर लाइन आदि समस्याओं से कर्मचारियों को परेशान होना पड़ता है। रेलवे मेंस यूनियन के पदाधिकारी अभय लोधी ने बताया कि कर्मचारी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। कोरोना काल के समय के डीए का भुगतान तो कर दिया गया लेकिन उसका एरियर इतने दिन बीतने के बाद भी नहीं दिया जा रहा है। जर्जर हो चुकी कॉलोनियों में कर्मचारी खतरों के बीच रह रहे हैं। विक्रम सिंह ने बताया कि हालत ये हैं कि बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता रहता है। कालोनी की नालियां चोक होने से रोज निकलने वाले गंदे पानी की निकासी नहीं हो पाती है। बारिश में हालत और भी खराब हो जाते हैं। गंदगी के बीच कर्मचारी रहने को मजबूर हैं। कॉलोनी परिसर में ही अन्ना मवेशी घूमते रहते हैं। जिससे चारों ओर गंदगी पसरी नजर आती है। कॉलोनियों में स्वच्छता अभियान का असर नहीं दिखता है। विभाग में मात्र दो सफाई कर्मी के भरोसे साफ-सफाई होती है। रेलवे को सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी चाहिए। सतीश कुमार बताते हैं कि सेवाकाल के दौरान छह बार दस-दस दिन की छुट्टी के दौरान लीव इन कैशमेंट दिया जाता है लेकिन मैनुवल पास बनवाने वाले किसी भी दिव्यांग कर्मियों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता। जिससे दिव्यांग कर्मियों में खासा रोष है। कर्मचारियों ने बताया कि स्टेशन में आरक्षण और टिकट काउंटर में बैरिकेडिंग न होने से लोगों की भीड़ टूट पड़ती है। सुरक्षा को देखते हुए यहां पर बैरिकेडिंग लगाने की जरूरत है। संतोष कुमार कहते हैं, कॉलोनी में रात होते ही अंधेरा हो जाता है। स्ट्रीट लाइटों की भारी कमी है। रेलवे के अस्पताल में एक ही डॉक्टर बैठता है, नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण वह ढंग से कर्मचारियों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं।

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सुझाव

- रेलवे कॉलोनी में टूटी नालियों की मरम्मत कराई जाए, साथ ही नियमित सफाई हो, ताकि जलभराव न हो।

- एंटी लार्वा दवा का छिड़काव किया जाए।

- कॉलोनी की मरम्मत की जाए, जर्जर भवनों पर प्लास्टर कराया जाए।

- कॉलोनी में सुरक्षा की बेहद जरूरत है, यहां कम से कम दो पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए।

- रेलवे कर्मचारियों के लिए बने अस्पताल में संसाधन बढ़ाए जाएं, नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ की तैनाती हो, ताकि यहां बेहतर इलाज मिल सके।

- कर्मियों के लिए नए मॉडल के आवास बनने चाहिए। साथ ही कॉलोनी में क्वार्टर की संख्या बढ़ाई जाए।

- आरक्षण व जनरल टिकट काउंटर पर हो बैरिकेडिंग, साथ ही फार्म भरने को स्टैंड बनवाने चाहिए।

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शिकायतें

- टूटी और चोक पड़ी रेलवे कॉलोनी की नालियों में हमेशा गंदा पानी भरा रहता है।

- जलभराव से मच्छर जनित बीमारियों का खतरा।

- कॉलोनी की पानी की पाइप लाइन ध्वस्त है, साथ आवास भी बेहद जर्जर हो चुके हैं।

- कॉलोनी के मुख्य गेट पर ड्यूटी के दौरान नहीं रहते सुरक्षा के इंतजाम।

- रेलवे कर्मचारियों के अस्पताल में सिर्फ डॉक्टर है, यहां नर्सें और अन्य मेडिकल स्टाफ नहीं है। यहां से गंभीर मरीजों को केवल रेफर कर दिया जाता है।

- कॉलोनी में समय पर सफाई नहीं होती, जिससे यहां अक्सर गंदगी फैली रहती है।

- गंदगी के बाद भी यहां दवा का छिड़काव नहीं किया जाता है।

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बोले रेलवे कर्मचारी

रेलवे कॉलोनी में गंदगी की भरमार है। नालियां चोक होने से मच्छर भी बढ़ गए हैं।

-अभय सिंह लोधी

रेलवे कर्मियों की संख्या देखते हुए आवास काफी कम हैं, किराये पर रहना मजबूरी है।

-गजेंद्र यादव

कर्मचारियों के लिए स्टेशन में पार्किंग स्टैंड न होने से दिक्कत रहती है, कई बार वाहन चोरी हुए हैं।

-एसके शर्मा

आवास जैसी मूलभूत सुविधा न होने से किराये पर कमरा लेकर कर्मचारियों को रहना पड़ता है।

-प्रेम कुमार

हमारे पास सेफ्टी जैकेट, जूते नहीं हैं। काम करने के दौरान डर लगता है।

-वीरेंद्र चौधरी

रेलवे कर्मचारियों के आवास बेहद जर्जर हैं, हादसे का हमेशा डर बना रहता है।

- शिवकुमार

स्टेशन परिसर में स्टैंड नहीं है। बाहर खड़े वाहन की चोरी होने की आशंका रहती है।

-संतोष कुमार

स्टोर न होने से उपकरण लेकर घर जाना पड़ता है, उनके खराब होने का डर रहता है।

-वीरेंद्र कुमार

जर्जर आवास के चलते रेलवे कर्मी शहर के दूसरे हिस्सों में किराये पर कमरा लेकर रहते हैं।

-मो.हनीफ

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बोले जिम्मेदार

रेलवे कॉलोनी के आवासों की समय-समय पर मरम्मत करवाई जाती है। छतों के टपकने व गंदगी की अब तक शिकायत नहीं आई है। कॉलोनी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम चल रहा है। कॉलोनी की नालियों में पालिका की नाली का पानी आने से दिक्कत आ रही है। जिस पर रोक लगाने को कहा गया है।

-कृष्ण मुरारी यादव, सहायक मंडल अभियंता रेलवे

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