बोले फतेहपुर: बेबस हुआ बसों का बेड़ा ऑपरेटरों का ‘सरेंडर
Fatehpur News - फतेहपुर में ऑटो, टेंपो और ई-रिक्शा की अधिकता से निजी बस संचालकों की स्थिति बिगड़ रही है। निजी बसें निर्धारित रूटों पर सवारियां नहीं पा रही हैं, जिसके कारण कई बसें बंद हो चुकी हैं। बस ऑपरेटरों ने...
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फतेहपुर। शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे ऑटो, टेंपो और ई-रिक्शा निजी बस संचालकों की कमर तोड़ रहे हैं। निजी बस ऑपरेटर विकास शुक्ला कहते हैं कि मुख्यालय में निजी बसों के निर्धारित 12 रूटों पर ई-रिक्शा, ऑटो और टेंपो बसों के आगे-पीछे चलकर सवारियां भर लेते हैं। जिनसे निजी बसों को ही सवारियां नहीं मिल पाती हैं। ई-रिक्शा को संपर्क मार्गों पर चलने की इजाजत है लेकिन ये किसी भी रूट पर कितने ही किलोमीटर चलते देखे जाते हैं। सवारियां घटने से निजी बसों की संख्या भी सड़कों पर घटती जा रही है। शहर में करीब साढ़े तीन हजार ई-रिक्शा और दो हजार तक ऑटो-टेंपो हैं। बसों के परमिट मात्र 331। इनमें से भी 110 परमिट सरेंडर हो चुके हैं। मोहन पांडेय बताते हैं 221 बसें विभिन्न 12 रूटों पर दौड़ रही हैं। लेकिन अराजकता के कारण सभी घाटे में चल रही हैं। ड्राइवर और कंडक्टर का वेतन निकालना मुश्किल हो रहा है।
फतेहपुर-विजयीपुर मार्ग के बस यूनियन अध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं अब तो इस व्यवसाय को बचाना ही चुनौती हो गया है। शहर के बिंदकी बस स्टॉप, जयरामनगर बस स्टॉप, अशोक नगर बस स्टॉप, पक्का तालाब बस स्टॉप के आसपास बसों के सामने ही टेंपो, ऑटो और ई-रिक्शे खड़े हो जाते हैं और सवारियां बैठा लेते हैं। जबकि निजी बसों के रूटों पर इनको सवारियां ढोने की मनाही है। विरोध करने पर बस चालक एवं परिचालक से ये मारपीट करते हैं। जयराम नगर से जहानाबाद रूट पर कई बार मारपीट हो चुकी है। बस संचालक रजोल शुक्ला ने बताया कि निजी बसों के रूटों पर रोडवेज बसें भी चलती देखी जा सकती हैं। निजी बस संचालकों ने अपने स्टैंड बनाए हैं। प्रशासन द्वारा उनका कोई स्टैंड नहीं बनाया गया है। संचालकों ने कई बार स्टैंड बनवाने की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शहर मुख्यालय में भी बस अड्डों में बसें खड़ी करने की जगह नहीं दी जा रही है। बस संचालक मुकेश सिंह ने बताया कि शहर के बाहर से संचालन का प्रशासन दबाव बनाता है। हालत ये है कि बिंदकी-अमौली, फतेहपुर-डलमऊ एवं फतेहपुर-बांदा मार्ग पर निजी बसों का संचालन लगभग बंद हो चुका है। शेष रूटों पर भी लगातार बसें कम होती जा रही हैं। विभाग को टैक्स देने के बाद भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं।
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सुझाव
- निजी बसों के विभिन्न रूटों पर चलने वाले अन्य वाहनों के संचालन को रोका जाए।
- निजी बसों के रूट पर बसों की जानकारी वाला चार्ट लगाया जाए, जिससे यात्रियों को बसों की जानकारी रहे।
- निजी बसों के स्टैंड भी बनवाए जाएं, जिससे आसानी से यात्री बसों तक आ सकें।
- रोडवेज बसों को उनके निर्धारित रूटों पर ही चलाया जाए। ताकि वे निजी बसों के रूटों पर न चलें।
- यातायात, रोडवेज, परिवहन विभाग लगातार रूटों पर चेकिंग अभियान चलाए। ई-रिक्शों की अराजकता रुके।
- पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था सख्त हो, ताकि रास्तों में होने वाले विवादों और घटनाओं पर लगाम लग सके।
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शिकायतें
- निजी बसों के रूटों पर ऑटो, टेंपो व ई-रिक्शा के चलने से सवारियां न मिलना।
- निजी बसों के रूट का चार्ट यात्रियों को पता न होना, जिससे सवारियां मिलने में दिक्कत।
- निजी बसों को सवारियां भरने के लिए एक निश्चित स्थान उपलब्ध न कराना।
- निजी बसों के रूटों पर चलने वाले ऑटो, टेंपो और ई-रिक्शा चालक विरोध पर अक्सर अभद्रता करते हैं।
- बस संचालक लगातार अपनी समस्याओं के निस्तारण की मांग कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
- बस संचालन के दौरान कई बार अराजकतत्व रास्ते में वारदात कर देते हैं।
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बोले बस ऑपरेटर
राजस्व, बीमा और स्टाफ का खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है। पर्याप्त सवारियां न होने से दिक्कत है।
-बउवा सिंह
निजी बसों के रूटों पर अन्य वाहनों के चलने से सवारियां मिलने में दिक्कत होती है। खर्च निकालना मुश्किल है।
-विनोद कुमार तिवारी
सवारियां न मिलने से अधिकांश बसें खड़ी रहती हैं। एक बस के बाहर निकलने का नंबर कई दिन बाद आता है।
-कमलेश अग्निहोत्री
बसों का मेंटीनेंस और हर माह देने वाले टैक्स की राशि भी निकालना मुश्किल हो रहा है। सवारियां ही नहीं मिलतीं।
-मुकेश सिंह
कोरोना काल के बाद अचानक बढ़ी तिपहिया वाहनों की आमद से निजी बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है।
-विकास शुक्ला
ई-रिक्शा चालक बसों के आसपास खड़े होकर सवारियां भर लेते हैं, विरोध करने पर अक्सर मारपीट भी करते हैं।
-मोहन पांडेय
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बोले जिम्मेदार
पुल खराब होने के कारण रोडवेज बसों का संचालन निजी रूट पर कराया जा रहा था। जल्द ही रोडवेज बसों के संचालन का रूट बदलवाया जाएगा। समय-समय पर अभियान चलाकर ऑटो-टेंपो व ई-रिक्शों की चेकिंग की जाती है, जो भी वाहन नियमों को तोड़कर चलते हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है। आगे भी इस तरह के अभियान चलते रहेंगे। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-पुष्पांजलि मित्रा गौतम, एआरटीओ प्रशासन
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